ये ओटीटी और वेब सीरीज का दौर है. निर्माता अपने कंटेंट को हिट कराने के लिए और मोटा पैसा कमाने के लिए फिल्मों में अब्यूसिव लैंग्वेज और बोल्ड सीन्स का इस्तेमाल दबा कर कर रहे हैं. अब ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि जब एक्टर और एक्ट्रेसेस इंटिमेट सीन (Intimate Scene) की शूटिंग करते हैं तो वह अपनी भावनाओं को कंट्रोल कैसे करते हैं. क्या इसके लिए किसी खास प्रॉप की मदद ली जाती है या अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को कोई खास तरीका बताया जाता है, जिसकी मदद से वो इंटिमेट सीन की शूटिंग के दौरान अपने इमोशन को कंट्रोल कर लेते हैं.


इमोशन कंट्रोल कैसे करते हैं


टीवी पर कभी आप 80 या उससे पहले के दशक की फिल्में देखिए. इन फिल्मों में आप साफ देख पाएंगे कि जब भी कोई किसिंग सीन या फिर इंटिमेट सीन आता था तो पर्दे पर या तो दो फूलों को आपस में लड़ा दिया जाता था या फिर गैस पर उबलते दूध की वीडियो दिखा दी जाती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. निर्माता-निर्देशक इंटिमेट सीन को भी दिखाते हैं.


ऐसे में एक्टर्स पर ये दबाव बढ़ जाता है कि उन्हें अपने इमोशन को कंट्रोल करते हुए और एक-दूसरे की डिग्निटी का ख्याल रखते हुए ऐसा परफॉरमेंस देना होता है कि वह कहीं से भी बनावटी न लगे. यही वजह है कि एक्टर्स को इसके लिए खूब रिहर्सल कराया जाता है. कई तरह के वर्कशॉप ऑर्गनाइज कराए जाते हैं. इसके अलावा इंटिमेट सीन की शूटिंग में इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर की भूमिका भी अहम होती है.


इंटिमेट सीन की शूटिंग के दौरान सेट पर क्या होता है


जब किसी फिल्म की शूटिंग होती है तब सेट पर कई लोग मौजूद होते हैं. लेकिन इंटिमेट सीन की जब शूटिंग होती है तो सेट पर सिर्फ वही लोग मौजूद होते हैं जिनकी वहां जरूरत होती है. डायरेक्टर कोशिश करता है कि एक्टर और एक्ट्रेस के अलावा सेट पर कोई और ना दिखे ताकि इंटिमेट सीन के दौरान दोनों सहज महसूस करें. यहां तक कि कैमरामैन को भी कई मौकों पर कह दिया जाता है कि वह दूर से सीन को शूट करे.


एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं


दैनिक भास्कर ने इस मामले में देश के कुछ प्रतिष्ठित इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर्स और मनोचिकित्सकों से बात कर के एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे एक्टर्स को इंटिमेट सीन्स के दौरान अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने की ट्रेनिंग दी जाती है. देश की पहली इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर आस्था खन्ना, इस मामले में कहती हैं कि जब किसी इंटिमेट सीन की शूटिंग होनी होती है तो उससे पहले एक्टर्स का एक वर्कशॉप कराया जाता है. इसमें इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर एक्टर्स की इच्छा और सीमाओं पर बात करते हैं.


इसके अलावा एक्टर्स से ये भी पूछा जाता है कि वह सीन को किस लेवल तक शूट कर सकते हैं. एक्टर्स जब इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर को अपनी सीमाएं और इच्छाएं बता देते हैं, तब इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर अभिनेता और अभिनेत्री दोनों को बताता है कि सीन के दौरान उन्हें कैसे रिएक्ट करना है, कहां-कहां एक दूसरे को हाथ लगाना है, अगर सीन में उन्हें कुछ भी गलत लगे या वो असहज महसूस करें तो तुरंत कट बोल दें. इन सब के बाद तब जाकर कहीं एक इंटिमेट सीन शूट किया जाता है.


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