आपके पास जो सिक्का है वो देश में किस जगह बना है? ऐसे लगा सकते हैं पता
Coin Value: दरअसल, एक सिक्के की दो वैल्यू होती है. पहली होती है उसकी ‘फेस वैल्यू’ और दूसरी ‘मेटैलिक वैल्यू’. आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं.
Coins Fact: रोज के लेन-देन के कामों में सिक्कों का अलग ही महत्व है. आज के समय में 1, 2 और 5 के नोट देखने को लगभग मिलते ही नहीं है. ऐसे में, जब आप दुकान पर जाते हैं तो बिल के बराबर अमाउंट करने में सिक्के अहम रोल निभाते हैं. कई लोगों को तो सिक्कों का कलेक्शन करने का भी शौक होता है. कई लोग ऐसे हैं जिनके पास आपको आज भी बहुत से सिक्के मिल जाएंगे. क्या कभी आपने सोचा है कि जो.सिक्का आपकी जेब या पर्स में है वो कैसे बनाया जाता है और भारत में ये सिक्के किस जगह पर बनते हैं? अगर नहीं पता तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताते हैं. साथ ही यह भी जानेंगे कि एक सिक्के की कीमत कितनी तरह से हो सकती हैं...
भारत में कहां पर बनते हैं सिक्के?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की वेबसाइट के मुताबिक भारत में मुंबई, अलीपोर (कोलकाता), हैदराबाद और नोएडा वो जगहें हैं जहां सिक्के बनाए या मिंट किए जाते हैं. इन चारो जगहों पर बने सिक्कों पर एक अलग चिन्ह होता है जिसे देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि यह सिक्का कहां बना है. यह चिन्ह आपको सिक्कों पर लिखे साल के नीचे मिलेगा.
कैसे पता लगाएं?
अगर किसी सिक्के पर साल के एक सितारा बना हुआ है तो इसका मतलब है कि इसे हैदराबाद में मिंट किया गया है. नोएडा में मिंट होने वाले सिक्कों पर एक ‘सॉलिड डॉट’ बना होता है. मुंबई में मिंट होने वाले सिक्कों पर ‘डायमंड’ का आकार बना होता है और कोलकाता में मिंट हुए सिक्कों पर कोई चिन्ह नहीं होता है.
किस चीज से बनते हैं सिक्के?
कोरा पर कुछ जानकर लोगों ने बताया कि भारत सरकार सिक्के बनाने के लिए धातुओं के मूल्य के आधार पर समय-समय पर विभिन्न धातुओं को उपयोग में लाती है. आज के दौर में अधिकांश सिक्कों के निर्माण के लिए फेरिटिक स्टेनलेस स्टील (17% क्रोमियम और 83% आयरन) का इस्तेमाल हो रहा है.
सिक्कों की होती हैं दो वैल्यू
दरअसल, एक सिक्के की दो वैल्यू होती है. पहली होती है उसकी ‘फेस वैल्यू’ और दूसरी ‘मेटैलिक वैल्यू’. फेस वैल्यू वह है जो सिक्कों पर लिखी होती है. जैसे अगर कोई सिक्का 1 रुपये का है तो उसकी फेस वैल्यू भी 1 रुपये ही होगी. इसी तरह 2 रुपये सिक्के की फेस वैल्यू 2 रुपये और 5 रुपये के सिक्के की 5 रुपये होती है.
अब समझते हैं कि मेटैलिक वैल्यू का मतलब क्या होता है. किसी सिक्के को बनाने में जितना खर्च आता है, वह उसकी मैटेलिक वैल्यू होती है. उदाहरण के लिए मान लीजिए अगर किसी सिक्के को पिघलाने पर उसके प्राप्त मेटल को 5 रुपये में बेचा जा सकता है तो उसकी मेटैलिक वैल्यू 5 रुपये होगी.
सिक्कों का साइज क्यों घट जाता है?
जैसा कि मैटेलिक वैल्यू के बारे में हमने ऊपर समझाया है तो ऐसे में कोई भी मेटैलिक वैल्यू का फायदा उठाने के लिए सिक्कों को पिघला कर मुनाफा कमा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो बाजार से सभी सिक्के गायब भी हो सकते है. इसीलिए सिक्कों की मैटेलिक वैल्यू को उनकी फेस वैल्यू से कम रखा जाता है. इसके लिए सरकार महंगाई के हिसाब से हर साल सिक्कों के साइज और वजन को कम करती रहती है.
यह भी पढ़ें: आपने देखा होगा कि बुजुर्गों को ज्यादा ठंड लगती है... यह भी समझिए ऐसा क्यों होता है