भारतीय कफ सिरप दवाओं को लेकर दुनिया भर के देश चिंतित है. 7 अगस्त को इराक ने भी कहा कि भारतीय फर्म में बनी दवा को जब लैब में टेस्ट किया गया तो पाया कि ये कफ सिरप ना सिर्फ दूषित हैं बल्कि घातक भी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत में बने कफ सिरप को लेकर एक बार फिर अलर्ट जारी किया है. बीते दस महीने में ये पांचवीं बार है जब WHO ने भारतीय कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है.
कफ सिरप में क्या चीज मिल रही है?
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में इराक में जिस कफ सिरप को बैन करने की बात की जा रही है उसे फोरर्ट्स इंडिया लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से डैबीलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया था. WHO ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस कफ सिरप में एथिवीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल दोनों केमिकल की मात्रा तय सीमा से 0.10 फीसदी ज्यादा डाली गई है. ये किसी के लिए भी खतरनाक हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इसके इस्तेमाल से ना सिर्फ लोगों की तबियत गंभीर रूप से खराब हो सकती है, बल्कि उसकी मृत्यु भी हो सकती है.
भारतीय कफ सिरप पर इतनी बार उठ चुके हैं सवाल
सबसे पहले अक्टूबर 2022 में गांबिया में जब 70 बच्चों की मौत हुई तो उसे हरियाणा की मेडन फार्मा द्वारा निर्मित कफ सिरप से जोड़कर देखा गया. उस वक्त भी WHO ने इस मेडिकल प्रोडक्ट को लेकर अलर्ट जारी किया था. इसके बाद दिसंबर 2022 में उज्बेकिस्तान सरकार ने आरोप लगया कि उसके यहां हुए 18 बच्चों की मौत का जिम्मेदार मैरियन बायोटेक लिमिटेड है. फिर अप्रैल 2023 में WHO ने मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया में बिक रहे क्यूपी फार्माकेम के सिरप पर सवाल उठाए थे और उसे मिलावटी बताया था. इसके बाद जून 2023 में कैमरून में जब एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत हुई तो उसे भी भारत में निर्मित कफ सिरप से जोड़कर देखा गया.
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