हमारे पूर्वजों ने कई मुहावरे बनाए हैं जो तरह-तरह की स्थिति को बयां करते हैं. वहीं आज की जनरेशन में कुछ लोगों को कई मुहावरों का अर्थ नहीं पता होता, जिसके लिए वो ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा ले रहे हैं. वहीं एआई को लेकर इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में चैट जीपीटी है. जिसे लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि कई लोगों मानना है कि चैट जीपीटी पर गलत जानकारी दी जा रही है. इसे चैक करने के लिए हमने चैट जीपीटी पर भारत के सबसे चर्चित मुहावरों में से एक मुहावरा पूछ डाला. जिसका जवाब काफी मजेदार मिला.
अक्ल बड़ी या भैंस?
'अक्ल बड़ी या भैंस' भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाले मुहावरों में से एक है. जिसका शाब्दिक अर्थ है कि सिर्फ शरीर शक्तिशाली हो जाने से अक्ल नहीं आ जाती. इस मुहावरे का उपयोग ज्यादातर उस समय किया जाता है जब किसी व्यक्ति द्वारा काम बिगाड़ा जाता है या कोई व्यक्ति शरीर से बलशाली दिखता है लेकिन बुद्धि में कमजोर होता है.
चैट जीपीटी का मजेदार जवाब
जब ये सवाल चैट जीपीटी से पूछा गया तो उसका जवाब था, "मैं एक कमजोर होशियारी होने वाला कंप्यूटर प्रोग्राम हूं, इसलिए मेरे पास विचार नहीं होते हैं और मुझसे ऐसी तुलनाएं करना मुश्किल है." चैट जीपीटी का ये जवाब किसी को हंसने पर मजबूर कर रहा है तो किसी को ये जवाब समझने में ही परेशानी आ रही है.
इससे पहले भी भारत में सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला प्रश्न चैट जीपीटी से पूछा गया था. जिसका उसने दिलचस्प जवाब दिया था. दरअसल चैट जीपीटी से जब पूछा गया कि मुर्गी पहले आई या अंडा? तो उसने जवाब दिया, 'वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो एक प्राचीन जीवविज्ञानी ने उत्तर दिया था कि अंडा पहले आया था. क्योंकि एक जीवाणु ने अंडे की नींव बनाई थी, जो एक संरचना होती है, जो बाद में भिन्न-भिन्न अंडों को जन्म देती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि अंडा पहले आया था.
इसके साथ ही हर शक्स के दिमाग में एक ही सवाल आता है कि आखिर मुर्गी के बिना कैसे अंडा आ सकता है. दरअसल जब जीव एक अन्य जीव के संगठन से जन्म लेता है तो आमतौर पर उस संगठन को ही जन्म देने वाले जीव को पहले माना जाता है. इस तरह से, मुर्गी की जननी मुर्गा था, जो बाद में अंडे को जन्म देने के लिए इस्तेमाल किया गया था, तो दार्शनिक दृष्टिकोण से मुर्गा पहले आया था. इसलिए, इस प्रश्न का उत्तर तय नहीं है और यह विवादास्पद ही माना जाता है.'