क्या लॉन्चिंग के लिए क्या हर बार बनता है नया PSLV, स्पेस में जाने वाला हिस्सा कैसे आता है वापस?
पीएसएलवी का मतलब है पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल. यह भारत का तीसरी पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल हैं, जिसने कई बड़े मिशनों को अंजाम दिया है. अब इसके जरिए नए मिशन स्पेडेक्स की लॉन्चिंग की जाएगी.
इसरो के जब भी किसी नए मिशन की चर्चा होती है, PSLV सुर्खियों में आ जाता है. पीएसएलवी का मतलब है पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल. यह भारत का तीसरी पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल हैं, जिसने कई बड़े मिशनों को अंजाम दिया है. एक बार फिर से इसकी चर्चा इसलिए है क्योंकि इसरो पीएसएलवी के जरिए स्पेडेक्स मिशन को लॉन्च करेगा. इस मिशन का पूरा नाम है पीएसएलवी-सी60.
अब सवाल यह है कि क्या पीएसएलवी क्या है और यह कैसे काम करता है? क्या इसरो हर नए मिशन के लिए नया पीएसएलवी बनाता है? अगर नहीं तो क्या स्पेस में जाने वाला हिस्सा वापस आता है, अगर हां, तो कैसे? चलिए जानते हैं...
पहले बात स्पेडेक्स मिशन की
इसरो स्पेडेक्स मिशन के जरिए अंतरिक्ष में ट्रैवल कर रहे दो स्पेसक्राफ्ट को आपस में जोड़ेगा. इसे डॉकिंग कहा जाता है. अगर यह मिशन सफल रहता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथ देश बन जाएगा. अब तक रूस, अमेरिका और चीन ने ही डॉकिंग सिस्टम में सफलता पाई है. इस मिशन के तहत पीएसएलवी से दो स्पेस्क्राफ्ट लॉन्च किए जाएंगे. दोनों का वजन 220 किलोग्राम है. ये स्पेसक्राफ्ट 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में ट्रैवल करेंगे, जिसके बाद इसरो इनकी रफ्तार को कम करने के बाद दोनों स्पेसक्राफ्ट को आपस में जोड़ेगा, दोनों के बीच इलेक्ट्रिकल पावर ट्रांसफर को डेमोंस्ट्रेट किया जाएगा. इसके बाद दोनों स्पेसक्राफ्ट की अनडॉकिंग होगी. यानी दोनों स्पेसक्राफ्ट अगल हो जाएंगे और अपने-अपने ऑपरेशन शुरू करेंगे.
इसमें पीएसएलवी का क्या रोल
पीएसएलवी इसरो का तीसरी पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल है. यह भारत का पहला लॉन्च व्हीकल है, जिसमें लिक्विड स्टेज शामिल है यानी इसमें लिक्विड रॉकेट इंजन का इस्तेमाल किया गया है. इसकी चार स्टेज होती हैं.
पहली स्टेज: पीएसएलवी की पहली स्टेज में सॉलिड रॉकेट मोटर लगा होता है. PSLV को लॉन्चपैड से ऊपर उठाने के लिए पर्याप्त थ्रस्ट उत्पन्न करने के लिए सॉलिड रॉकेट मोटर और छह सॉलिड स्ट्रैप-ऑन बूस्टर का उपयोग किया जाता है.
दूसरी स्टेज: यहां लिक्विड रॉकेट इंजन का इस्तेमाल होता है. इस इंजन को विकास के नाम से जाना जाता है.
तीसरी स्टेज: यह सबसे ऊपरी भाग के नीचे का हिस्सा होता है. इसमें सॉलिड रॉकेट मोटर लगी होती है, जो तेज धक्के के साथ ऊपरी हिस्से को आगे की ओर धकेलते हैं.
चौथी स्टेज: रॉकेट का सबसे ऊपरी हिस्सा पेलोड होता है, इसके नीचे चौथी स्टेज होती है. इसमें दो लिक्विड इंजन मौजूद होते हैं, जो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की कक्षा की ओर धकेलते हैं.
कौन सा हिस्सा आता है वापस?
पीएसएलवी लॉन्च के बाद इसके तीन हिस्से अंतरिक्ष तक नहीं पहुंच पाते और रॉकेट को गति प्रदान करने के बाद समुद्र में ही गिर जाते हैं. जबकि चौथा हिस्सा अंतरिक्ष में कचरा बन जाता है. हालांकि, इसरो ने अंतरिक्ष में कचरा न छोड़ने में भी सफलता हासिल कर ली है. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि पीएसएलवी एक पूरी प्रणाली का नाम है. लॉन्चिंग के समय इसका चौथा चरण अंतरिक्ष तक पहुंच पाता है और कचरा बन जाता है.