SBI Logo Fact: भारतीय स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक है. यह दुनिया के सबसे बड़े निगमों में से एक भी है. SBI का Logo हर किसी ने देखा है. कहा जाता है कि यह लोगो अहमदाबाद में कांकरिया लेक के एरियल व्यू से प्रेरित होकर बनाया गया है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी विद्वानों में मतभेद है. पिछले साल इसको लेकर ट्विटर, फेसबुक और कोरा पर लोगों के बीच काफी बहस भी हुई थी. लेकिन, सच्चाई क्या है? क्या यह लोगो कांकरिया झील से प्रेरित नहीं है? अगर नहीं है, तो फिर इसके बनने की कहानी क्या है?
क्या झील से प्रेरित होकर बना है लोगो?
पिछले साल सोशल मीडिया पर कांकरिया झील के आकार और एसबीआई के लोगो में समानता दिखाने के लिए झील की एक सेटेलाइट इमेज और लोगो को एक साथ शेयर किया जा रहा था. लेकिन, आपको बता दें कि एसबीआई का लोगों कांकरिया झील से प्रेरित नहीं है. यह सिर्फ एक इत्तेफाक हो सकता है कि दोनों की बनावट एक जैसी है. क्योंकि, लोगो के बनने की कहानी कुछ ओर ही है.
पहले गोल सिक्के पर बरगद का पेड़ था लोगो
'द हिंदू बिजनेस लाइन' की एक रिपोर्ट में SBI लोगो में आए बदलाव के बारे में बताया गया है. पहले यह लोगो बरगद के पेड़ से प्रेरित था. हालांकि, इसमें बदलाव होने के बाद अब यह एक कीहोल की तरह दिखता है. आर्टिकल के अनुसार, अंग्रेजों ने इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया एक्ट, 1920 के तहत इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (IBI) शुरू किया. जिसे कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास के बैंकों को एक साथ मिलाकर बनाया गया था. 1955 में IBI को SBI बना दिया गया. तब 'गोल सिक्के पर बरगद का पेड़' को नए लोगों के तौर पर जारी किया गया.
लोगो के डिजायनर ने किया स्पष्ट
वैसे झील वाला दावा नया नहीं है. यह दावा साल 2014 से ही किया जाता रहा है. द क्विंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, SBI लोगो के लिए बनाई गई दो सदस्यीय डिजायन टीम के सदस्य रहे शेखर कामत ने बताया था कि लोगो में एक कीहोल है. और इसका अहमदाबाद की कांकरिया झील से कोई लेना-देना नहीं है. शेखर कामत हिस्सा थे.
नहीं गए थे कभी कांकरिया झील
रिपोर्ट के मुताबिक, शेखर ने बताया कि ये सुरक्षा का प्रतीक है. उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया कि ये लोगो अहमदाबाद की कांकरिया झील से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि इसका झील से कोई संबंध नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, शेखर ने यह भी कहा कि जब वो लोगो पर काम कर रहे थे, तब वो कांकरिया झील गए भी नहीं थे. रिपोर्ट के मुताबिक यह लोगो टोकन के आकार को देखकर बनाया गया था.
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