गांजे का नशा करने वाले लोगों की तादाद बढ़ रही है. यही वजह है कि इसका गैर कानूनी व्यापार करने वाले लोगों की भी संख्या में इजाफा हो रहा है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के एक सोसाइटी से एक शख्स को गिरफ्तार किया गया, जो गमले में गांजे के पौधे उगा रहा था.
राहुल चौधरी नाम के आरोपी पर आरोप है कि वह अपने फ्लैट में एरोपोनिक्स तकनीक की मदद से प्रीमियम गांजे की खेती कर रहा था. चलिए आज इस खबर में जानते हैं कि क्या गमले वाले गांजे में भी उसी लेवल का नशा होता है, जैसा खेत में उगे भांग के पौधे में होता है. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
गमले वाले पौधे और खेत वाले पौधे में अंतर
खेत में उगे भांग के पौधे और गमले में उगे भांग के पौधे में अंतर होता है. ये अंतर क्वालिटी और क्वांटिटी में होता है. दरअसल, जब आप किसी पौधे को गमले में लगाते हैं तो वह उस तरह से ग्रो नहीं कर पाता, जैसा खेत की मिट्टी में करता है. इसके अलावा, खेत के वातावरण का भी पौधे पर असर पड़ता है. गमले में लगे पौधे को वो वातावरण नहीं मिलता जो खेत वाले पौधे को मिलता है. इसका असर पौधे की क्वालिटी पर पड़ता है. यानी अगर हम किसी टमाटर के पौधे को गमले में लगाएं और उसी तरह के एक पौधे को खेत में लगाएं, तो देखेंगे कि गमले वाले पौधे में लगा टमाटर छोटा होगा. जबकि, खेल वाले पौधे का टमाटर ज्यादा बड़ा और स्वादिष्ट होगा. भांग के पौधे पर भी यही नियम लागू होता है.
तो आरोपी प्रीमियम क्वालिटी का गांजा कैसे तैयार कर रहा था
अब सवाल उठता है कि जब गमले में लगे भांग के पौधे में वो क्वालिटी नहीं होती तो इन्हें प्रीमियम कैसे कहा जा रहा है. चलिए, अब इसको समझते हैं. दरअसल, जो आरोपी फ्लैट में भांग उगाते हैं वह एरोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. इस तकनीक से उगे पौधे, गमले में उगे पौधे जैसे नहीं होते. एरोपोनिक्स तकनीक की मदद से जो पौधे उगते हैं उनकी क्वालिटी बेहतर होती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, एरोपोनिक्स, पौधों को मिट्टी के बिना उगाने की एक तकनीक है. इसमें पौधों की जड़ों को हवा में लटकाकर, उन पर पोषक तत्वों से भरा धुंध या स्प्रे छिड़कते हैं. इस तकनीक में, पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व और पानी भरपूर मिलता है, जिसकी वजह से वो तेज़ी से बढ़ते हैं.
ये भी पढ़ें: जब एक महिला ने पकड़ लिया था नेहरू का गिरहबान, देश के पहले प्रधानमंत्री ने अपने जवाब से यूं बंद की थी बोलती