हमारे देश में कई कहावतें बोली जाती हैं. जिसे आम बोलचाल में भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कुछ कहावतें लोग बोल तो रहे होते हैं लेकिन उसके पीछे की कहानी किसी को नहीं पता होती. उन्हीं में से एक है तीसमार खां. जी हां ये शब्द आप अक्सर बोलते या सुनते होंगे. कई बार कुछ लोगों की तुलना करते हुए उन्हें इस कहावत से जोड़ा जाता है, लेकिन आपको इसके पीछे की कहानी पता है? चलिए जानते हैं.
कौन था तीसमार खां?
कहा जाता है कि तीसमार खां एक गरीब परिवार में जन्मा था. जब वो बड़ा होकर काम की तलाश में गांव से बाहर जा रहा था तो उसकी मां ने रास्ते में खाने के लिए खाना बांध दिया. फिर जब वो खाना खा रहा था तो उसके पास कुछ मधुमक्खियां आ गईं. उसने उन सभी मधुमक्खियों को मार दिया. उसके बाद जब उसने उन मधुमक्खियों की गिनती की तो वो 30 निकलीं. इस वाक्ये के बाद उसने अपना नाम तीसमार खां रख लिया.
दुकानदार केे बताई ये कहानी
इसके बाद जब वो शहर पहुंचा तो एक दुकानदार से मिला. बातों ही बातों में उसने दुकानदार को बताया कि उसनेे 30 लोगों को युद्ध में मार गिराया है. उसका शरीर और कद काठी देखकर दुकानदार को भी इस बात का यकीन हो गया और उसनेे ये बात राजा को जाकर बता दी. राजा उससे काफी प्रभावित हुआ.
उसी दौरान राज्य में एक शेर का आंतक फेल गया. ऐसे में लोगों को घरों में छुपने पर मजबूर होना पड़ रहा था. उस समय राजा नेे तीसमार खां के बारे में सुना ही था और उसे शेर को पकड़कर लाने का आदेश दे दिया. तीसमार खां शेर को पकड़ने निकल तो गया लेकिन वो काफी डरा हुआ था. उस समय एक कुम्हार घर केे बाहर अपना काम कर रहा था. कुम्हार को तीसममार खां नेे शेर का भय दिखाकर घर में जाने के लिए कहा. लेकिन कुम्हार का कहना था कि उसे शेर से नहीं बल्कि टपके से डर लगता है.
फिर किस्मत ने दिया साथ
शेर ने जैसे ही उस कुम्हार की बात सुनी तो उसने सोचा कि टपका उससे भी बड़ा कोई जानवर है. लिहाजा वो डर गया और इस तरह तीसमार खां ने उसे पकड़ लिया. इसके बाद राजा को लगा तीसमार खां बहुत वीर है और उसे सेनापति घोषित कर दिया गया. एक बार जब राज्य को दुश्मनों के साथ युद्ध लड़ना था तो तीसमार खां को आगे किया गया. उस समय भी तीसमार खां डर-डरकर युद्ध लड़ने गया. उसे घुड़सवारी तो आती नहीं थी. लिहाजा उसने घोड़े से खुद को बांध लिया. ऐसे में जब घोड़ा दौड़ रहा था तो उसका पैर खाई में गिर गया. फिर जब वो निकला तो एक पेड़ उखड़ गया. दुश्मनों को लगा कि ये पेड़ तीसमार खां ने उखाड़ा है. इस तरह वो उसे वीर समझकर वहां से भाग गए और युद्ध में हार मान ली.
इस तरह किस्मत बार-बार साथ देती गई और तीसमार खां हर बार बल और बुद्धि के चलते नहीं बल्कि अपनी बड़बोलेपन और किस्मत के भरोसे वीर साबित होता गया. दरअसल तीसमार खां की ये एक लोककथा है. जिसके बाद ये कहावत लोगों के बीच काफी बोली जाने लगी.
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