चूड़ियां पहनने के पीछे सिर्फ धार्मिक या फिर है वैज्ञानिक कारण
हमारे देश में कई ऐसी परंपराएं और मान्यताएं हैं जिसके पीछे ऐसे वैज्ञानिक कारण छुपे होते हैं जो हमें पता नहीं होते.
महिलाओं को रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनना बहुत पसंद होता है. उनपर चूड़ियां जंचती भी हैं. धार्मिक रूप से विवाहित स्त्री का चूड़ियां पहनना जरूरी माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित होते हैं. यदि नहीं तो चलिए जानते हैं.
महिलाएं क्यों पहनती हैं चूड़ियां
महिलाओं के श्रृंगार में चार चांद जोड़ने वाली चूड़ियां उन्हें स्वास्थ्य लाभ भी पहुंचाती हैं. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, महिलाओं की चूड़ियां एक ऐसा घर्षण पैदा करती हैं, जिससे रक्त संचार ठीक सेे होता है. इसके अलावा माना ये भी जाता है कि कलाई क्षेत्र एक एक्यूपंक्चर बिंदु है, जो एक महिला के शरीर में हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करतें हैं.
यही वजह है कि पहले के जमाने में पुरुष भी अपने हाथों में कड़े पहना करते थे. इसके अलावा जब कांच की चूड़ियां बार-बार टकराती हैं तो माना जाता है कि उनकी आवाज से नेगेटिव एनर्जी भी दूर रहती है. इसके अलावा रंगीन चूड़ियां महिलाओं के मन को शांत रखने में भी मदद करती हैं. इसलिए स्वास्थ्य के लिए भी चूड़ियां पहनना अच्छा माना जाता है.
क्या है धार्मिक कारण
देशभर में महिलाएं कई रंगों की चूड़ियां पहनती हैं. धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो ये सुहागन स्त्री के लिए अच्छा माना जाता है. धार्मिक रूप से माना जाता है कि ये महिलाओं को बुरी नजर से दूर रखती हैं. वहीं चूड़ियांं महिलाओं को भी मानसिक शांति प्रदान करती हैं. इस लिहाज से चूड़ियां धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्व रखती हैं.
वहीं हरी चूड़ियां शांति का तो वहीं लाल प्रजनन क्षमता और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने का प्रतीक मानी जाती हैं.
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