टाइम ट्रैवल को लेकर कई दावे होते आए हैं. हालांकि सच में ऐसा कुछ होता भी है या नहीं इसकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई. हालांकि कई लोगों ने इस बारे में दावा किया है जिनकी कहानियां टाइम ट्रैैवल के बारे में बताती हैं. चलिए आज हम उन्हीं घटनाओं के बारे में जानते हैं. हालांकि इनकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई लेकिन बार-बार इनकी चर्चा जरूर होती रही है.
वो घटनाएं जो टाइम ट्रैवल का करती हैं दावा
पहली घटना चार्ली चैपलिन की 1928 की फिल्म 'द सर्कस' की है. ऐसा दावा किया गया कि इस द सर्कस के बैकग्राउंंड में एक महिला ने अपने कान पर मोबाइल फोन लगाया हुआ था. हालांकि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मोबाइल का अविष्कार इस फिल्म के रिलीज होने के 50 साल बाद हुआ था.
ऐसा कहा जाता है कि जुलाई 1954 में टोक्यो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे एक व्यक्ति से ये बात कही गई थी कि उसके पास जिस देश का पासपोर्ट है उस नाम का कोई देश ही नहीं है. उस व्यक्ति ने दावा किया था कि उसका घर टौरेड में है. उस शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया था. उसने मैप में जो जगह दिखाई थी वो अंडोरा थी. आश्चर्य की बात ये है कि अगले ही दिन वो व्यक्ति होटल रूम से गायब हो गया था.
एक अन्य घटना में एक पायलट ने स्कॉटलैंड में ये दावा किया था कि उन्होंने साल 2030 में टाइम ट्रैवल किया है. ये RAF एयर मार्शल सर रॉबर्ट विक्टर गोडार्ड थे. उन्होंने कहा था कि उनके साथ ये घटना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1939 में हुई थी. जब वो फ्लाइंग मिशन के दौरान एक इलाके के ऊपर से विमान उड़ा रहे थे. उस वक्त उन्होंंने एयर बेस का नजारा बदलते हुए देखा था. इसके अलावा भी टाइम ट्रैवल की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
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