इजरायल अगर ईरान की न्यूक्लियर साइट उड़ा देता है तो क्या परमाणु बम जैसी होगी तबाही? जानें ये कितना खतरनाक
ईरान का अपने न्यूक्लियर साइट को लेकर चिंतित होना जायाज है. ऐसा इसलिए क्योंकि, इजरायल कुछ देशों के साथ ऐसा पहले भी कर चुका है. अस्तित्व में आने के बाद से इजरायल दो परमाणु संयंत्रों को उड़ा चुका है.
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ईरान और इजरायल के बीच टेंशन इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आने वाले समय में अगर इजरायल ईरान के न्यूक्लियर साइट पर हमला कर दे या उसे उड़ा दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर कभी इजरायल ने ऐसा किया तो क्या न्यूक्लियर साइट के ब्लास्ट से भी ईरान में वैसी ही तबाही देखने को मिलेगी, जैसी कभी हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम के हमले में देखने को मिली थी. चलिए आज इस आर्टिकल में इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
न्यूक्लियर साइट पर ब्लास्ट हो तो क्या हो सकता है
किसी न्यूक्लियर साइट में होने वाला ब्लास्ट किसी न्यूक्लियर बम के विस्फोट से अलग होता है. दरअसल, जब किसी न्यूक्लियर बम में विस्फोट होता है तो नाभिक एक दूसरे के करीब आ जाते हैं, जिससे न्यूट्रॉन की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसके बाद न्यूट्रॉन अन्य नाभिकों को प्रभावित करते हैं और फिर विस्फोट की एक चेन बन जाती है. जबकि, किसी न्यूक्लियर साइट के ब्लास्ट में ऐसा नहीं होता.
अगर इजरायल, ईरान के न्यूक्लियर साइट को उड़ाता है तो ब्लास्ट न्यूक्लियर ब्लास्ट जैसा नहीं होगा. लेकिन, ये जरूर है कि इस ब्लास्ट से न्यूक्लियर साइट के आसपास के इलाके में रेडियोएक्टिव तत्वों की भरमार हो जाएगी और इससे आम लोग गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं. इसके अलावा इससे वातावरण भी प्रदूषित हो जाएगा और यह मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होगा. न्यूक्लियर साइट में ब्लास्ट होने पर ईरान को आर्थिक नुकसान भी बहुत अधिक होता है.
ये न्यूक्लियर साइट उड़ चुका है इजरायल
ईरान का अपने न्यूक्लियर साइट को लेकर चिंतित होना जायाज है. ऐसा इसलिए क्योंकि, इजरायल ऐसा पहले भी कर चुका है. अपने अस्तित्व में आने के बाद से इजरायल दो परमाणु संयंत्रों को उड़ा चुका है. इसमें पहला इराक का ओसिराक न्यूक्लियर रिएक्टर था और दूसरा सीरिया का अल-किबर न्यूक्लियर रिएक्टर.
ओसिराक न्यूक्लियर रिएक्टर (1981)
इजरायल ने 7 जून 1981 को इराक के ओसिराक रिएक्टर पर ऑपरेशन ओपेरा के तहत हवाई हमले किए थे. दरअसल, इराक ने ओसिराक रिएक्टर को फ्रांस से खरीदा था और उसकी मदद से इराक कथित तौर पर न्यूक्लियर हथियारों के विकास पर काम कर रहा था. इजरायल ने इस हमले के पीछे तर्क दिया था कि इराक के पास न्यूक्लियर हथियार विकसित करने की क्षमता थी, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता था.
अल-किबर न्यूक्लियर रिएक्टर (2007)
इजरायल का दूसरा हमला साल 2007 में सीरिया के अल-किबर न्यूक्लियर रिएक्टर पर हुआ था. 6 सितंबर 2007 को, इजरायल ने दावा किया कि उसने सीरिया के अल-किबर रिएक्टर, जिसे उत्तर कोरिया की सहायता से बनाया गया था, नष्ट कर दिया है.
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