इजरायल का सबसे खतरनाक कमांडो ऑपरेशन, दुश्मन के घर में घुसकर सिखाया था आतंकियों को सबक
Israel Operation Thunderbolt: इजरायल के एक प्लेन को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था, जिसके बाद इजरायल ने कमांडो ऑपरेशन शुरू किया था. इस ऑपरेशन में कई आतंकी मार गए.
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Israel Operation Thunderbolt: यहूदियों के देश इजराइल और चरमपंथी संगठन हमास के बीच जंग छिड़ी हुई है. दोनों तरफ से लगातार मिसाइलों की बारिश हो रही है, जिसमें सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. इजरायल ने कहा है कि वो इस बार हमास की जड़ें उखाड़कर ही रहेगा. ये पहला मौका नहीं है, जब हमास के लड़ाकों ने इजरायल पर हमला किया हो, इससे पहले भी ऐसे कई हमले हो चुके हैं. हालांकि इजरायल हर बार की तरह इस बार भी डटकर खड़ा है. आज हम इजरायल के ऐसे ऑपरेशन के बारे में आपको बता रहे हैं, जिसमें उसने दुश्मन के घर में ही सेंध लगाकर अपने लोगों को छुड़ा लिया था.
इजरायल का यादगार ऑपरेशन
इजरायल की डिफेंस फोर्सेस को दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में गिना जाता है. इसकी खुफिया एजेंसी मोसाद के कई ऑपरेशन आज भी याद किए जाते हैं, लेकिन साल 1976 में कुछ ऐसा हुआ था, जिससे इजरायल की असली ताकत का दुनियाभर को अंदाजा लग गया. इस साल हुए ऑपरेशन को आज भी दुनियाभर में लोग याद करते हैं.
प्लेन हुआ हाईजैक
दरअसल जून 1976 में इजरायल से उड़ाने भरने वाले एक पैसेंजर प्लेन को हाईजैक कर लिया गया. इसे हाईजैक कर पूर्वी अफ्रीका के देश युगांडा ले जाया गया. जहां उस वक्त तानाशाह ईदी अमीन का राज था. प्लेन एक चरमपंथी संगठन ने हाईजैक किया था और ये इजरायल की जेलों में बंद अपने साथियों को रिहा कराना चाहते थे.
प्लेन में सवार इजरायल के 90 लोग काफी दहशत में थे. इस दौरान प्लेन में सवार यहूदी और गैर यहूदियों को अलग कर दिया गया. इसके बाद इजरायल सरकार पर दबाव था कि वो अपने लोगों को वहां से सुरक्षित वापस लाए. इसके बाद इजरायल के एक अहम ऑपरेशन की शुरुआत हुई. कई दिनों तक प्लानिंग हुई और आतंकियों के साथ बातचीत चलती रही. युगांडा के राष्ट्रपति ईदी अमीन ने भी इजरायल की मदद से इनकार कर दिया. ऐसे में इजरायल के पास आखिरी रास्ता सैन्य ऑपरेशन ही बचा था.
ऐसे शुरू हुआ पूरा ऑपरेशन
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने उन लोगों से बातचीत की, जिन्हें प्लेन से रिहा गया था. इस पूरे ऑपरेशन के लिए खास कमांडो चुने गए. इसी बीच इजरायल सरकार आतंकियों से लगातार मोहलत मांग रही थी. इस दौरान केन्या ने इजरायल की मदद की. जिसकी जमीन का इस्तेमाल मोसाद ने किया. 3 जुलाई 1976 को ऑपरेशन शुरू हुआ, करीब 200 कमांडो युगांडा रवाना हुए. प्लेन में युगांडा के राष्ट्रपति जैसा पूरा काफिला सवार था, जिसमें सवार होकर कमांडो युगांडा की जमीन पर उतरे.
इसके बाद दुश्मन देश की धरती पर इजरायली कमांडोज का ऑपरेशन शुरू हुआ. सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया और सुरक्षित प्लेन में बैठाया गया. करीब 6 मिनट में वहां मौजूद आतंकियों को मार गिराया गया. इसके बाद युगांडा के सैनिक भी सामने आए, जिनसे इजरायल के कमांडोज की जंग हुई. इस दौरान इजरायल के कमांडोज ने युगांडा के 40 से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया. इसके बाद सभी बंधकों को सुरक्षित इजरायल लाया गया. इसे ऑपरेशन थंडरबोल्ड नाम दिया गया. इसे दुनिया का सबसे खतरनाक मिशन माना जाता है.
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