पिछले 10 सालों में ISRO ने किए क्या खास काम, मिशन पर भेजे कितने स्पेसक्राफ्ट? सरकार ने लोकसभा में दी ये जानकारी
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में पिछले 10 सालों में हमने कितनी प्रगति की है, चलिए जानते हैं.
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ISRO Missions: इसरो ने ऐसे कई कार्य किए हैं जिसपर आज हम भारतीय लोगों को गर्व है. ऐसे में यदि हम पिछले 10 सालों पर नजर डालें तो ये समझ पाना मुश्किल होता है कि आखिर पिछले कुछ सालों में इसरों ने कौन-कौनसी उपलब्धियां हासिल की हैं. हाल ही में लोकसभा में सरकार से इसे लेकर सवाल किया गया था, जिसके उत्तर में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लिखित जवाब देते हुए पिछले कुछ सालों में इसरों के आने वाले प्रोजेक्ट्स और पिछले प्रोजेक्ट्स को लेकर जवाब दिया है.
मार्च मिशन हुआ सफल
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बीते दिन (1 अगस्त) को लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या 2014 में 1 बढ़कर 2024 में 229 हो गई है. वहीं उन्होंने बताया कि मार्स ऑर्बिटर मिशन ने अपने निर्धारित तकनीकी, साथ ही वैज्ञानिक उद्देश्यों को हासिल कर लिया है.
मंगल ग्रह पर पहला अंतरग्रहीय मिशन, मंगल ग्रह की वायुमंडलीय संरचना की समझ को आगे बढ़ाने और वायुमंडल की हानि दर का अनुमान लगाने के लिए सुराग जुटाने में सफल रहा है.
2014 से अबतक कितने मिशन हुए लांच?
इसरो ने पिछले 10 सालों में 54 स्पेसक्रॉफ्ट मिशन, 53 लॉन्च व्हीकल मिशन और 8 प्रौद्योगिकी प्रदर्शक किए हैं. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “भारत में एक जीवंत अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र की सुविधा के लिए इसरो अपनी तकनीकी सहायता बढ़ा रहा है, IN-SPACe के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता और सुविधा उपयोग साझा कर रहा है.”
साथ ही सिंह ने ये भी बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लॉन्च व्हीकल निर्माण, सैटेलाइट विकास, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और ग्राउंड सिस्टम में शामिल कई अंतरिक्ष स्टार्टअप को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है.
एस्ट्रौसेट ने ये प्रमुख सफलताएं की हासिल
सांसद में दिए गए जवाब के अनुसार, इसरो ने कुछ महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं. जिनमें छोटी आकाशगंगाओं के 'जीवित' गठन का साक्षी बनना, पृथ्वी से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर एक आकाशगंगा से यूवी प्रकाश उत्सर्जन का पता लगाना, गर्म और ठंडे दोनों उत्सर्जन विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाले स्रोत की एक दशक पुरानी पहेली को हल करना, क्रैब न्यूबेला में एक्स-रे ध्रुवीकरण की खोज करना, गतिशील आवृत्ति के रूप में ब्लैक होल प्रणाली के अर्ध-आवधिक दोलनों की पहचान करना, ब्लैक होल का जन्म कैसे हुए इसका पता लगाना है.
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