चांद के बाद अब ISRO के वैज्ञानिकों की नजर शुक्र ग्रह पर है, जानिए क्या है इससे जुड़ा मिशन?
इस मिशन का जिक्र भले ही चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद हुआ हो, लेकिन इस पर काम साल 2017 से ही शुरू है. जबकि इसकी अवधारणा साल 2012 में ही बना ली गई थी.
चंद्रयान-3 ने चांद की जमीन पर जैसे ही सफल लैंडिंग की भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का डंका पूरी दुनिया में बज गया. चांद पर ऐसे तो अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश पहले ही जा चुके हैं, लेकिन भारत ने वहां लैंडिंग की जहां दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच सका था. वो जगह है चांद का दक्षिणी ध्रुव. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर चांद पर पानी कहीं मिल सकता है तो वो जगह यही है. हालांकि, आज हम चंद्रयान या चांद की नहीं बल्कि पृथ्वी के सबसे नजदीक मौजूद पथरीले ग्रह शुक्र कि बात कर रहे हैं. कहा जाता है कि शुक्र ग्रह की स्थिति ऐसी है कि यहां जीवन संभव हो सकता है.
क्या है शुक्र ग्रह से जुड़ा मिशन?
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के दौरान पीएम मोदी ने अपने स्पीच में इसरो के एक और मिशन का जिक्र किया था. वो था शुक्रयान का. दरअसल, इसरो के वैज्ञानिक शुक्र ग्रह पर रिसर्च करना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने एक वीनस ऑर्बिटर मिशन तैयार किया है. हालांकि, शुक्र ग्रह पर सिर्फ इसरो की ही नजर नहीं है, बल्कि नासा भी उस पर रिसर्च करना चाहता है.
कब शुरू होगा ये मिशन
इस मिशन का जिक्र भले ही चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद हुआ हो, लेकिन इस पर काम साल 2017 से ही शुरू है. जबकि इसकी अवधारणा साल 2012 में ही बना ली गई थी. इसरो के वैज्ञानिक वीनस ऑर्बिटर मिशन पर काफी समय से काम कर रहे हैं. दरअसल, इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक शुक्र ग्रह के वायुमंडल के रसायन, उसके गतिकी और संरचनात्मक विविधताओं के साथ साथ सौर विकिरण और सौर पवनों के प्रभावों पर भी रिसर्च कर रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसरो इस मिशन को 2026 से 2028 के बीच लॉन्च कर सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि शुक्र ग्रह के लिए सही लॉन्च विंडो का समय 19 महीने में एक बार आता है.
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