13 सितंबर की रात पृथ्वी के लिए बेहद भयावह थी. हर पल खतरा उसकी ओर बढ़ रहा था. जब दुनियाभर के आम इंसान अपने घरों में सो रहे थे, तब इसरो और नासा समेत पूरी दुनिया की स्पेस एजेंसियां अपनी नज़र आसमान पर गड़ाए हुई थीं. ऐसे में बड़ा सवाल ये था कि आसमान से ऐसा क्या आ रहा था, कि पूरी दुनिया की स्पेस एजेंसियां अलर्ट पर थीं. चलिए इस आर्टिकल में आपको इसी से जुड़ी जानकारी देते हैं. इसके साथ ही बताते हैं कि कैसे पृथ्वी एक बहुत बड़े खतरे से बाल बाल बची.
क्या हुआ था 13 सितंबर को
आपको पता ही होगा इस ब्रह्मांड में सिर्फ हमारी पृथ्वी ही नहीं है, इसके साथ साथ कई ग्रह, गैलेक्सी और तारे हैं. वहीं भारी मात्रा में उल्कापिंड यानी एस्टेरॉयड भी स्पेस में ऐसे ही तैर रहे हैं. ऐसा ही एक एस्टेरॉयड 13 सितंबर को पृथ्वी के बेहद नज़दीक से गुज़रा. वैज्ञानिकों को इसका पता पहले लग गया था, लेकिन वो इसे रोक नहीं सकते थे. ये इतनी तेज़ रफ्तार से आ रहा था कि अगर पृथ्वी से टकराता तो शायद ये इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी होती. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं.
कितना खतरनाक था ये एस्टेरॉयड
ये एस्टेरॉयड बहुत ज्यादा बड़ा नहीं था. इसका आकार करीब 180 फीट ही था. लेकिन इसकी स्पीड इतनी थी कि ये किसी रॉकेट की तरह पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था. इस एस्टेरॉयड को 2023 RH2 नाम दिया गया. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये एस्टेरॉयड सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में 77303 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहा है. जब ये पृथ्वी के पास से निकला तो इसकी दूरी लगभग 4.3 मिलियन किलोमीटर थी. हालांकि, इसके बावजूद भी स्पेस साइंटिस्ट चिंता में थे.
एस्टेरॉयड के बारे में वैज्ञानिक कैसे जान पाते हैं?
दरअसल, दुनियाभर की स्पेस एजेंसियों के पास बड़े बड़े और अत्याधुनिक टेलीस्कोप हैं, इन्हीं की मदद से वैज्ञानिक पूरे आसमान पर अपनी नज़र बनाए रखते हैं और नए नए तारों की खोज के साथ साथ एस्टेरॉयड पर भी नजर रखते हैं. यही वजह है कि जब भी कोई एस्टेरॉयड पृथ्वी के नजदीक आने वाला होता है, वैज्ञानिकों को पहले ही पता चल जाता है और लोग अलर्ट हो जाते हैं.
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