पेरिस का एफिल टावर दुनियाभर में मशहूर है. दुनिया के अलग-अलग देशों से पर्यटक इस टावर को देखने फ्रांस आते हैं. इसका निर्माण 1889 में फ्रांस में आयोजित हुए विश्व मेले के एंट्री गेट के रूप में किया गया था. जिस समय ये टावर बनकर तैयार हुआ था, तब इसे दुनिया की सबसे ऊंची इमारत के रूप में जाना गया. बाद में इस टावर को तोड़ने पर भी विचार किया गया था, लेकिन इसकी खूबसूरती, सुंदरता और लोकप्रियता को देखते हुए फिर इसे नहीं तोड़ा गया. आइए आज एफिल टावर से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट्स जानते हैं.


2 साल में हुआ था बनकर तैयार


एफिल टावर को बनने में 2 साल 2 महीने और 5 दिन लगा था, वहीं इसका निर्माण कार्य साल 1887-1889 तक चला था. बताया जाता है कि एफिल टावर को बनाने में करीबन 300 मजदूरों का योगदान रहा था. इन्हीं कुशल कारीगरों की मदद से आज एफिल टावर पेरिस की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है.


रात में नहीं खींच सकते इसकी तस्वीर


एफिल टावर की रात्रि में फोटोग्राफी करना गैरकानूनी माना जाता है. पेरिस में इस बात को गैरकानूनी माना जाता है. बताया जाता है कि एफिल टावर की लाइटें पेरिस के कॉपीराइट के अंडर आती हैं. अगर किसी को रात के वक्त में एफिल टावर की तस्वीर लेनी है, तो इसके लिए पहले उसे कॉपीराइट कानून के तहत सरकार से ऐसा करने की परमिशन लेनी होगी.


अब यूपीआई से भी घूम सकेंगे एफिल टावर 


पेरिस को लव सिटी कहते हैं और एफिल टावर भी कपल के लिए लव प्लेस बन गया है. इसी लोकप्रियता को देखते हुए पीएम मोदी ने अपने फ्रांस दौरे पर देश में यूपीआई पेमेंट की शुरुआत की है. और इसका इस्तेमाल सबसे पहले पेरिस के एफिल टावर में किया जाएगा. जल्द ही लोग अब एंट्री फीस के लिए यूपीआई का उपयोग कर इस इमारत को देख सकेंगे. 


सर्दियों में सिकुड़ जाता है एफिल टावर


आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि एफिल टावर का कुछ प्रतिशत हिस्सा सर्दियों में सिकुड़ जाता है. कहते हैं 6 इंच तक ये हिस्सा सिकुड़ जाता है, वो इसलिए क्योंकि एफिल टावर को मेटल से तैयार किया गया है और मेटल ठंड के दिनों में सिकुड़ जाता है गर्मियों में फैल जाता है. एफिल टॉवर अपने समय में बनी विश्व की सबसे ऊंची इमारत होने का गर्व महसूस करती थी, लेकिन साल 1930 में बनी न्यूयॉर्क की क्रिसलर बिल्डिंग ने ऊंचाई के मामले में इसे पीछे कर दिया.


20 साल थी एफिल टावर की उम्र 


एफिल टावर की अवधि केवल 20 साल के लिए ही थी. इसका मतलब 20 साल का वक्त पूरा होने के बाद इसे तोड़ दिया जाना था, लेकिन 20 साल बाद जब इसके तकनीकी टेस्ट किए गए तो इसकी गुणवत्ता और मजबूती सही मिली, आज भी यह मजबूती से खड़ा है.


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