6 महीने तक रहती है नॉर्मल, लेकिन सावन के महीने में लाल हो जाता है इस नदी का पानी
सावन में ये नदी लाल हो जाती है. हालांकि, इस रंग की शुरूआत पहले गुलाबी रंग से होती है, बाद में ये लाल हो जाती है. वहीं सावन के बाद फिर इसका रंग बदलने लगता है और ये पीली, हरी और फिर नीली भी हो जाती है.
![6 महीने तक रहती है नॉर्मल, लेकिन सावन के महीने में लाल हो जाता है इस नदी का पानी It remains normal for 6 months but the water of this river turns red in the month of Sawan 6 महीने तक रहती है नॉर्मल, लेकिन सावन के महीने में लाल हो जाता है इस नदी का पानी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/07/22/ec0a43759289a63e25c97450c51a4e291721658110302617_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
सावन के महीने को हरियाली का महीना कहते हैं. इस महीने में हर तरफ आपको हरा ही हरा नजर आता है. लेकिन इस दुनिया में एक नदी ऐसी है जो इस महीने में अपने पानी का रंग बदल लेती है. चलिए आपको इस अनोखी नदी के बारे में विस्तार से बताते हैं. इसके साथ ही ये भी बताएंगे कि आखिर सावन के महीने में इस नदी के पानी का रंग लाल या फिर नीला, पीला, हरा और कभी-कभी काला कैसे हो जाता है.
कौन सी है ये नदी
हम जिस नदी की बात कर रहे हैं वो कोलंबिया के सेरानिया डे ला मैकरेना नेशनल पार्क के अंदर बहती है. इस नदी का नाम है कैनो क्रिस्टल्स. आपको बता दें, 100 किलोमीटर के हिस्से में फैली ये नदी, साल में 6 महीने तो एक नॉर्मल नदी जैसी ही दिखती है. लेकिन सावन शुरू होने से पहले यानी जून के अंतिम सप्ताह में अपना रंग बदलना शुरू कर देती है.
सावन में किस रंग की हो जाती है
सावन में ये नदी लाल हो जाती है. हालांकि, इस रंग की शुरूआत पहले गुलाबी रंग से होती है, बाद में ये लाल हो जाती है. वहीं सावन के बाद फिर इसका रंग बदलने लगता है और ये पीली, हरी और फिर नीली भी हो जाती है. विज्ञान की मानें तो इस नदी में जून से लेकर नवंबर तक कैनो क्रिस्टल्स बनते हैं जिन्हें मैकेरेनिया या क्लेविगेरा कहा जाता है. ये एक तरह की वनस्पति है जो नदी की सतह पर पनपती है. इसी के बदलते रंग की वजह से नदी का भी रंग बदलता है.
बेहद खास है ये जगह
ये शानदार नदी जिस जगह पर बहती है वो इलाका बेहद खास है. दरअसल, कोलंबिया का सेरानिया डे ला मैकारेना नेशनल पार्क एक संरक्षित इलाका है. यहां लगभग 2000 तरह के पौधे और पक्षियों की 5 सौ प्रजातियां पाई जाती हैं. इसके साथ ही 1200 प्रकार के कीड़े पाए जाते हैं.
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