ब्रिटेन में चुनावी रैली के दौरान मरी हुई बिल्लियां क्यों फेंकते थे लोग? जानिए इसकी वजह
ब्रिटेन में आज आम चुनाव के लिए मतदान हो रहा है. लेकिन दशकों पहले ब्रिटेन में एक वक्त ऐसा भी था कि वहां पर आम चुनाव कराना आसान नहीं था.क्योंकि लोग चुनावी रैलियों में मरी हुई बिल्ली और कुत्ते फेंकते थे.
ब्रिटेन में आज यानी 4 जुलाई के दिन आम चुनाव के लिए मतदान हो रहा है. ब्रिटेन की जनता अपना 58वां प्रधानमंत्री चुनने के लिए मतदान कर रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रिटेन ने एक ऐसा भी दौर देखा है, जब प्रधानमंत्री शब्दा को अपमान माना जाता है. इतना ही नहीं चुनावी रैलियों के दौरान लोग मरी हुई बिल्लियां और कुत्ते फेंकते थे. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों लोग नेताओँ की रैलियों में मरी हुई बिल्लियां फेंकते थे.
ब्रिटेन आम चुनाव
बता दें कि ब्रिटेन में पहला आम चुनाव 1708 में हुआ था, लेकिन उस वक्त और अभी के चुनाव में काफी अंतर है. क्योंकि ब्रिटेन में एक दौर ऐसा भी था, जब प्रधानमंत्री शब्द को अपमान समझा जाता था. इतना ही नहीं लोग राजनीतिक रैलियों में नेताओं के ऊपर कुत्ते-बिल्लियों को फेंक दिया करते थे.
जानकारी के मुताबिक 1832 के द ग्रेट रिफॉर्म से पहले देश की महज 16 फीसद आबादी के पास ही वोटिंग देने का अधिकार था. क्योंकि वोट करने के लिए अलग-अलग नगरों में अलग-अलग नियम थे. जिसमें 40 शिलिंग की जमीन होना, अपना खुद का घर होना, “फ्रीमैन” का दर्जा होना जैसे कई नियम शामिल थे.
ब्रिटेन में क्यों था आक्रोश
दरअसल 1714 में रानी ऐनी का उत्तराधिकारी किंग जॉर्ज को चुना गया.किंग जॉर्ज रानी के सबसे करीबी रिश्तेदार थे, लेकिन वे जर्मन थे. किंग जॉर्ज को इंग्लिश नहीं आती थी. इस दौरान व्हिग राजनेता रॉबर्ट वालपोल ने सत्ता में आने के लिए इस मौके का फायदा उठाया था. उन्हें 1721 तक ट्रेजरी का पहला लॉर्ड, राजकोष का चांसलर और हाउस ऑफ कॉमन्स का नेता नियुक्त किया गया था. हालांकि उस समय प्रधानमंत्री नाम का कोई पद नहीं होता था. लेकिन पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में रॉबर्ट वालपोल का ही नाम लिया जाता है.
पीएम शब्द अपमान
इसके अलावा जब ब्रिटेन में पहली बार प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल हुआ था, तब इसको गाली और अपमान समझा जाता था. क्योंकि कोई व्यक्ति गलत तरीके से दूसरे से आगे आ गया या शाही परिवार का चापलूस और प्रिय है. इतना ही नहीं यूके में 18वीं और 19वीं सदी तक चुनावों में भाषण देना एमपी और प्रधानमंत्री के लिए बड़ा कठिन होता था. क्योंकि बिना माइक के इतनी भीड़ में बोलना और भीड़ के शोर का सामना करना आसान नहीं था. कई बार जोश में आई भीड़ उम्मीदवारों के ऊपर मरी हुई बिल्लियां और कुत्तों, मल और पत्थरों जैसी चीजें फेंका करती थी.
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