देश में अब भारत और इंडिया पर बहस तेज हो गई है. मौजूदा सरकार में जिस तरह से शहरों के नाम बदले गए हैं, उसे लेकर सोशल मीडिया पर एक चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि क्या अब देश का भी नाम भारत या इंडिया में से कोई एक हो जाएगा. दरअसल, फिलहाल आधिकारिक रूप से दोनों नाम इस्तेमाल होते हैं. अग्रेजी में इंडिया और हिंदी में भारत. लेकिन अगर केंद्र सरकार ने सिर्फ भारत नाम को देश का नाम घोषित किया तो इसमें कितना खर्च लग जाएगा ये आपको बताते हैं. लेकिन इससे पहले जानिए कि अगर किसी शहर या राज्य का नाम चेंज करते हैं तो कितना पैसा खर्च होता है.


किसी शहर या राज्य का नाम बदलने में कितना खर्च होता है


भारत के कई राज्यों में पिछले दिनों अलग अलग शहरों के नाम बदले गए. इनमें उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर रहा. यहां की योगी सरकार ने कई शहरों के नाम बदले. हालांकि, सबसे ज्यादा चर्चा में रहा इलाहाबाद का प्रयागराज होना. अब अगर किसी शहर के नाम बदलने पर आने वाले खर्चे की बात करें तो वो तकरीबन 200 से 500 करोड़ रुपये के बीच होता है. वहीं किसी राज्य के नाम को बदलने पर खर्च की बात करें तो ये पांच सौ करोड़ से कही ज्यादा हो जाता है.


देश का नाम बदलने पर कितना पैसा खर्च होगा?


जाहिर सी बात है जब किसी शहर या राज्य का नाम बदलने पर कई सौ करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं तो देश का नाम बदलने पर उससे कहीं ज्यादा खर्च होगा. आउटलुक ने इसी पर एक रिसर्च स्टोरी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में स्वाजीलैंड नाम के एक अफ्रीकी देश ने अपना नाम बदलकर ईस्वातिनी कर लिया था. उस वक्त इस छोटे से देश का नाम बदलने में लगभग 60 मिलियन डॉलर का खर्च आया था. जिस मॉडल के आधार पर इस आंकड़े की गणना की गई है, उसी आधार पर अगर अपने देश का नाम चेंज किया गया तो खर्च लगभग 14 हजार करोड़ रुपये के आस पास होगा.


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