क्या होता है वीआईपी कैदियों के लिए जेल के नियम, क्या उन्हें मिलती हैं अलग से सुविधाएं
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद है. ऐसे में सोशल मीडिया पर जेल को लेकर बहुत सारी बातें हो रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वीआईपी कैदियों के लिए जेल में क्या नियम होते हैं?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ जेल में बंद होने के बाद सोशल मीडिया पर जेल को लेकर बहुत सारी बातें हो रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जेल में वीआईपी कैदी कौन होते हैं और उन्हें वहां पर क्या सुविधाएं मिलती है. आज हम आपको बताएँगे कि जेल में वीआईपी कैदियों को अलग से क्या सुविधा मिलती है.
सुपीरियर क्लास क्या होता?
बता दें कि सुपीरियर क्लास के अंतर्गत आने वाली सुविधाओं में बंदी को एक मेज, एक चौकी, अखबार, सोने के लिए लकड़ी का तख्त, दरी, कॉटन की चादर, मच्छरदानी, एक जोड़ी चप्पल, कूलर, बाहर का खाना, जेल के अदंर भी खाना अलग से बनवाने की सुविधा दी जाती है. वहीं एक आम बंदी को खाने के लिए सिर्फ एक प्लेट और एक गिलास दिया जाता है. वहीं सोने के लिए दरी और कम्बल दिया जाता है. इसके अलावा आम कैदी को रहने के लिए अलग छोटी सेल दी जाती हैं. इसके अलावा अगर वह किताबें पढ़ने की मांग करता है तो वो भी मुहैया कराई जाती है.
वीआईपी कैदी कौन होते हैं?
अब सवाल ये आता है कि वीआईपी कैदी कौन होते हैं. दरअसल कैदियों को उनकी सामाजिक स्थिति और आर्थिक प्रोफ़ाइल के आधार पर ‘वीआईपी स्थिति’ के लिए आवेदन करने का अधिकार है. आम तौर पर वीआईपी कैदी के लिए पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, संसद सदस्य (एमपी), राज्य विधायक के सदस्य, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष / उप-वक्ताओं, मौजूदा सांसद / विधायकों और न्यायिक मजिस्ट्रेट को चुना जाता है. बता दें कि ज्यादातर दोषी राजनेताओं के लिए अच्छी सुविधा लेना का विकल्प है. यह विशेष स्थिति प्राप्त करना बेहतर रहने खाने की व्यवस्था कर लेने का प्रवेश द्वार है.
कैसी होती हैं वीआईपी सेल
बता दें कि भारत में जेलों में वीआईपी सेल का उद्देश्य हमेशा अन्य कैदियों से वीआईपी अभियुक्तों की रक्षा करना और जेल के बाकी हिस्सों से अलग करना है. सरकार इन सेलों की अधिक सुरक्षा और बेहतर रख-रखाव पर खर्च करती है. भारतीय संविधान के जेल अधिनियम के मुताबिक किसी भी जेल अधिकारी को कैदी को कुछ बेचने या इसके उपयोग की इजाजत देने से लाभ प्राप्त नहीं होना चाहिए. इसी तरह जेल की आपूर्ति के लिए किसी भी अनुबंध में अधिकारी को कोई दिलचस्पी नहीं होनी चाहिए. ना ही वह जेल की ओर से या किसी कैदी से संबंधित किसी भी चीज की बिक्री या खरीद से कोई लाभ प्राप्त कर सकता है.
मॉडल जेल मैनुअल क्या है?
जानकारी के मुताबिक प्रत्येक राज्य में जेल कानून, नियम और विनियमों को बदलने का अधिकार रखने वाले राज्य सरकार के साथ अपने जेल मैनुअल हैं. गृह मंत्रालय ने समिति की सिफारिशों के आधार पर 2003 में मॉडल जेल मैनुअल तैयार किया था, जिसे जेलों के प्रबंधन और कैदियों के इलाज को नियंत्रित करने वाले कानूनों की समीक्षा के लिए स्थापित किया गया था. वहीं मैनुअल यह सुनिश्चित करता है कि कैदियों की “मूलभूत न्यूनतम आवश्यकताएं” जो मानव जीवन की गरिमा के अनुकूल हैं, उन्हें मिलनी चाहिए. लेकिन यह कठोर कारावास काट रहे राजनेताओं या अभिनेताओं को अलग से कोई छूट नहीं देता है.
क्या पैसा देकर सुविधाएं मिलती हैं?
ये सब कुछ कोर्ट ऑर्डर पर निर्भर करता है. हालांकि तिहाड़ जेल में बंद सहारा इंडिया परिवार प्रमुख सुब्रत राय ने 57 दिनों के विशेषाधिकारों के लिए 31 लाख रुपये का भुगतान किया था. इनमें एक वातानुकूलित कमरा, पश्चिमी शैली के शौचालय, मोबाइल फोन, वाई-फाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं शामिल थी. इसके लिए उनकी कंपनी का बिल एक दिन में 54,400 रुपये आया था. क्योंकि उन्होंने अदालत में कहा था कि अगर उन्हें ये सुविधाएं जेल में नहीं मिली तो उनके रोजाना के कारोबार पर असर पड़ेगा.
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