जेल में बंद अमृतपाल और अब्दुल रशीद ने जीता चुनाव, जानें कैद में रहते हुए कैसे काम करता है सांसद
जेल में बंद अमृतपाल ने पंजाब की खडूर और कश्मीर के बारामूला अब्दुल रशीद ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. लेकिन क्या जेल में बंद सांसद वहां से काम कर सकता है. जानिए क्या कहते हैं नियम.
देश के 18 वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं. एनडीए गठबंधन की सरकार ने बहुमत हासिल किया है. लेकिन आज हम आपको दो ऐसी सीटों के बारे में बताने वाले हैं, जहां के उम्मीदवार जेल में बंद हैं और चुनाव जीतकर आए हैं. अब सवाल ये है कि जेल में बंद कोई सांसद कैसे काम कर सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि जेल से कोई सांसद क्या-क्या काम कर सकता है.
पंजाब की सीट
पंजाब की खडूर साहिब सीट पर सबसे बड़ा उलटफेर माना जा रहा है. दरअसल यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़ा अमृतपाल सिंह जीत गया है. बता दें कि अमृतपाल नेशनल सिक्योरिटी एक्ट में असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. उसने जेल से ही अपना नामांकन भरा था.
कश्मीर की बारामूला सीट
जम्मू-कश्मीर के बारामूला सीट पर राशिद शेख ने जीत हासिल की है. बता दें कि राशिद शेख उर्फ इंजीनियर राशीद ने बारामूला सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इस सीट पर उन्हें कुल 4 लाख 69 हजार 574 वोट मिले हैं. राशिद ने अपने प्रतिद्वंदी उमर अबदुल्ला को 2 लाख 32 हजार 73 वोटों से हराया है. वहीं इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अबदुल्ला को 2 लाख 66 हजार 301 वोट मिले हैं. राशिद शेख उर्फ इंजीनियर राशीद फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है और वह जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है. राशिद पर टेरर फंडिंग लेने का आरोप है. उस पर यूएपीए एक्ट के तहत गंभीर आरोप लगे हुए हैं. वहीं राशिद शेख के जेल में रहते हुए उसके दोनों बेटों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी.
जेल में रहकर बने सांसद
भारत में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि जेल में रहकर किसी उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. भारत के दर्जनों ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने जेल में रहकर जीत हासिल की है. मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज कल्पनाथ राय के खिलाफ बसपा के टिकट पर जीत हासिल की थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय ने 1996 का लोकसभा चुनाव जेल में रहते हुए लड़ा था और मुख्तार अंसारी को हराकर घोसी सीट से जीत हासिल की थी. सपा नेता नाहिद हसन ने भी 2022 में जेल से कैराना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.
जेल से कैसे करेंगे काम?
भारतीय संविधान के नियमों के मुताबिक जेल से कोई भी भारतीय नागरिक चुनाव लड़ सकता है. लेकिन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(5) के तहत जेल में बंद कैदी को वोट देने का अधिकार नहीं होता है. संविधान के मुताबिक वोट डालना एक कानूनी कानूनी अधिकार होता है. लेकिन इस कानून का उल्लंघन करने वाले इसके इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.
अब सवाल ये है कि जेल में बंद सांसद कार्य कैसे कर सकते हैं. बता दें कि कोई सांसद जब तक जेल में बंद है, अपने सांसद प्रतिनिधि बनाकर क्षेत्र के लिए कार्य कर सकता है. लेकिन जेल में बंद सांसद को अगर किसी मामले में दो साल से अधिक की सजा मिलती है, तो उसकी सदस्या रद्द हो जाएगी. इसके बाद उसी सीट पर दोबारा उपचुनाव होगा. बता दें कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(1) और (2) के तहत प्रावधान है, अगर कोई सांसद या विधायक हत्या, दुष्कर्म, धर्म, भाषा, आतंकवादी गतिविधि, संविधान को अपमानित करने जैसे आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होता है, तो संसद और विधानसभा से उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी.
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