History of Jammu and Kashmir: भारत का राज्य आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चाओं में रहता है. ये राज्य अपनी खूबसूरती के लिए तो मशहूर है ही साथ ही यहां आंतकवाद का मुद्दा भी चर्चाओं में रहता है. ऐसे में चलिए आज हम जानते हैं कि आखिर इस खूबसूरत राज्य का नाम कैसे पड़ा और इसका इतिहास क्या है.


कैसे पड़ा जम्मू का नाम?


भारत के हर राज्य और शहर का अलग इतिहास है, जिनका नाम पड़ने की वजह भी खासी दिलचस्प है. इसी तरह भारत के राज्य जम्मू और कश्मीर के नाम के पीछे भी एक खास कहानी है. दरअसल जम्मू शहर का नाम जम्बू लोचन के नाम पर रखा गया है, जो नौवीं शताब्दी में शासन करने वाले एक शक्तिशाली स्थानीय सरदार बाहु के भाई थे. ऐसा कहा जाता है कि राजा बनने के बाद, जम्बू लोचन शिकार पर गए और तवी नदी को पार करते हुए उन्होंने एक हिरण और एक बाघ को एक ही तालाब से पानी पीते हुए पाया.


उनके मंत्रियों ने समझाया कि इसका मतलब है कि इस जगह की मिट्टी इतनी पवित्र है कि कोई भी जीवित प्राणी किसी दूसरे के प्रति शत्रुता नहीं रखता. इसके बाद राजा जम्बू लोचन ने अपनी राजधानी, जम्बूपुरा, इसी धरती पर बनाने का फैसला किया, जो अपने भाई राजा बाहु के किले के सामने तवी के दाहिने किनारे पर मौजूद थी. इसी जम्बूपुरा को बाद में जम्मू के नाम से जाना जाने लगा.


कश्मीर के नाम के पीछे भी अलग है कहानी


जम्मू की ही तरह कश्मीर के नाम के पीछे भी एक अलग इतिहास है. माना जाता है कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम रखा गया था. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जलोद्भव नामक राक्षस ने ब्रह्मा के वरदान लेकर आतंक फैला दिया था. इसके बाद देवताओं के आग्रह पर पक्षी रूप में भगवती ने चोंच में पत्थर रखकर राक्षस को मारा था. बाद में वो पत्थर हरी पर्वत हो गया और महर्षि कश्यप ने सर का जल निकालकर इस स्थान को बसाया था, जिसके बाद से यही स्थान कश्मीर के नाम से जाना जाने लगा और इस तरह बना जम्मू कश्मीर.                                                                               


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