Jammu Kashmir Election 2024: कश्मीर, भारत का एक विवादित क्षेत्र रहा है. इसका इतिहास राजाओं, महाराजाओं और राजनीतिक नेताओं के संघर्षों से भरा पड़ा है. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय, कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी. हिंदू महाराजा हरि सिंह के शासन के बाद, कश्मीर की कमान किसके हाथों में आई और यहां कैसे चुनाव हुए आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.


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स्वतंत्रता के बाद भारत में कैसे शामिल हुआ कश्मीर?


1947 में भारत के विभाजन के समय, कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत या पाकिस्तान में से किसी भी देश में विलय करने का निर्णय नहीं लिया था. इसी बीच, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी कश्मीर में घुसपैठ करने लगे. इस स्थिति में महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी. भारत ने कश्मीर की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजी और महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय की संधि पर हस्ताक्षर किए.


शेख अब्दुल्ला का उदय


भारत में विलय के बाद कश्मीर में शेख अब्दुल्ला एक प्रमुख राजनीतिक नेता के रूप में उभरे. उन्होंने कश्मीर की जनता के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की और उन्हें कश्मीर का नेता माना जाने लगा. शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर को विशेष दर्जा देने की मांग की, जिसे बाद में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के रूप में स्वीकार किया गया.


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चुनाव और राजनीतिक उथल-पुथल


कश्मीर में समय-समय पर चुनाव हुए हैं. इन चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों ने भाग लिया है. शेख अब्दुल्ला की नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी लंबे समय तक कश्मीर की राजनीति में हावी रही.


विधानसभा चुनाव: कश्मीर में विधानसभा चुनाव होते रहे हैं, जिनमें स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर भी वोट डाले जाते हैं.


लोकसभा चुनाव: कश्मीर से लोकसभा के लिए भी सदस्य चुने जाते हैं.


पंचायत चुनाव: ग्रामीण स्तर पर पंचायत चुनाव भी होते हैं, जिनमें स्थानीय मुद्दों पर वोट डाले जाते हैं.                                                                                                   


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