जापान के इशिकावा में साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को 7.4 तीव्रता का भयंकर भूकंप आया. इस भूकंप के बाद जापान में सुनामी का खतरा मंडराने लगा है. कुछ देर पहले तक जो खबरे आ रही हैं, उनके अनुसार जापान में 45 सेमी की सुनामी लहर गैंगवॉन प्रांत में मुखो के पूर्वी तट तक पहुंच चुकी हैं. वहीं दक्षिण कोरिया की मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा कि ये लहरे और ऊंची हो सकती हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर भूकंप आने के बाद सुनामी क्यों आती है.


सुनामी कैसे आती है?


जब कभी समुद्र तल पर भूकंप आता है, ज्वालामुखी फटता या फिर भूस्खलन होता है तो उससे समुद्र में तेज हलचल होती है. इस हलचल से पानी का कॉलम खिसकने लगता है और इसके वाइब्रेशन से लहरे पैदा होने लगती हैं. कई बार ये लहरें 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पैदा होती हैं और तटों से टकराती हैं. अगर भूकंप ज्यादा तेज हो तो ये लहरे और विक्राल हो जाती हैं और किनारे पर आने वाली हर चीज को अपनी चपेट में ले लेती हैं.


समुद्र के अंदर भूकंप कैसे आता है?


इसे ऐसे समझिए कि धरती की ऊपरी परत दो हिस्सों में है और आपस में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. जबकि, इसके भीतर पृथ्वी कई परतों से मिलकर बनी है. हालांकि, पृथ्वी की बाहरी सतह पर जो टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद हैं जब वो समुद्र तल के भीतर आपस में टकराती हैं तो इस हलचल से भूकंप पैदा होता है. फिर यही भूकंप समुद्र के पानी को तटों की ओर धकेलता है, जिससे लहरें पैदा होती हैं और बाद में यही सुनामी का रूप ले लेती हैं.


भारत भी अलर्ट पर


जापान में आए भूकंप के बाद सुनामी का खतरा भारत तक है. केंद्र सरकार ने भारत में पूर्वी तट पर सुनामी की आशंका वाले क्षेत्रों की लिस्ट तैयार की है. इस लिस्ट में पुरी, काकीनाडा, मछलीपट्टनम, निजामपट्टनम-वेटापलेम, चेन्‍नई, कुड्डालोर-पुड्डुचेरी, रामेश्‍वरम, अलपुझा-चावरा और कोच्चि को शामिल किया गया है. आपको बता दें, भारत में आज तक की दर्ज की गई सबसे तेज सुनामी लहरें 17.30 मीटर ऊंची थीं. ये सुनामी 26 दिसंबर 2004 को आई थी, जिसका सबसे ज्‍यादा असर चेन्‍नई में देखा गया था. तब भारत में इससे मरने वालों की संख्या लगभग 18,000 थी.


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