यूएई की राजधानी अबू धाबी में हिंदू मंदिर बनने के बाद पूरी दुनिया में अबू धाबी शहर का जिक्र हो रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी और सात अमीरात में से एक अबू धाबी किसी जमाने में मछुआरों का एक गांव हुआ करता था. लेकिन आज अबू धाबी शहर दुनिया के आधुनिक शहरों की कैटेगरी में शामिल है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूएई के इस शहर को जापानी आर्किटेक्ट कत्सुहिको ताकाहाशी ने बसाया था.


कौन थे आर्किटेक्ट कत्सुहिको ताकाहाशी ? 


आज के वक्त अबू धाबी शहर में जो चौड़ी सड़कें, ऊंची बिल्डिंगें दिखती है, दरअसल इसके पीछे जापानी आर्किटेक्ट कत्सुहिको ताकाहाशी का मास्टर प्लान था. बता दें कि साल 1937 में जापान में जन्मे ताकाहाशी ने अपनी मास्टर की डिग्री कोलंबिया यूनिवर्सिटी के न्यूयॉर्क में स्थित ग्रेजुएट स्कूल ऑफ ऑर्किटेक्चर एंड प्लानिंग से हासिल की थी. 


कैसे मिला इतना बड़ा प्रोजेक्ट


जानकारी के मुताबिक 1967 में शेख जायेद शहर अबू धाबी के विकास के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर रहे थे. इसके लिए उन्हें आर्किटेक्ट की तलाश थी. वहीं उस वक्त अबू धाबी तक दुनिया के देशों की पहुंच कम थी. इसलिए कुवैत में जापानी राजदूत से इस काम के लिए संपर्क किया गया था. जिसके बाद उन्होंने नए-नए आर्किटेक्ट बने कत्सुहिको ताकाहाशी का नाम सुझाया था. जानकारी के मुताबिक उस वक्त शेख जायेद ने साल भर पहले ही अबू धाबी की सत्ता संभाली थी और उस वक्त शहर की कुल जनसंख्या 40 हजार के करीब थी.


शहर का नक्शा 


जानकारी के मुताबिक शेख जायेद के बुलाने पर कत्सुहिको ताकाहाशी अबू धाबी पहुंच गए थे. जिसके बाद दोनों लोगों के बीच शहर की रूपरेखा को लेकर चर्चा हो रही थी. शेख जायेद उस समय चाहते थे कि अबू धाबी को ऐसे शहर के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जिसमें शांति, सुरक्षा, विकास, जवाबदेही के साथ ही साथ दुबई समेत सभी अमीरात का कल्याण समाहित हो.


युवा आर्किटेक्ट कत्सुहिको ताकाहाशी ताकाहाशी चाहते थे कि अबू धाबी द्वीप के प्राकृतिक स्वरूप से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए बीच साइड में कुछ ही टूरिस्ट रिसोर्ट्स के लिए जगह तय की गई थी. कत्सुहिको ताकाहाशी ने उस वक्त कहा था कि अबू धाबी में जनसंख्या के हिसाब से निर्माण की जगह नहीं बचेगी. इसलिए शहर के बीच-बीच में जगह छोड़नी चाहिए. हालांकि उस वक्त उनकी बात नहीं मानी गई थी.  जिसके कारण बाद में अबू धाबी के विकास के लिए वहां की सरकार को भारी मात्रा में राशि खर्च करनी पड़ी थी.


वहीं अबू धाबी को नया स्वरूप देने के बाद डॉ. ताकाहाशी ने संयुक्त राष्ट्र के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी. जानकारी के मुताबिक अबू धाबी की अथॉरिटीज एक ऐसा आर्किटेक्ट चाहती थी, जो अरबी बोलता हो और उसके साथ बिना किसी अनुवादक के बात की जा सके. इसलिए आर्किटेक्ट कत्सुहिको ताकाहाशी ने अबू धाबी को छोड़ दिया था. अबू धाबी छोड़ने के बाद उन्होंने 10 सालों तक यूएन सेंटर फॉर हाउसिंग, बिल्डिंग एंड प्लानिंग के साथ काम किया.


 


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