देश की सियासत में औरंगजेब के मुद्दे को लेकर सरगर्मी पैदा हो गई है. यह सब महाराष्ट्र सपा अध्यक्ष अबू आजमी के बयान के बाद हुआ. इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और छत्रपति शिवाजी को भी घसीट लिया है. देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि पंडित नेहरू ने अपनी किसाब 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' में छत्रपति शिवाजी का अपमान किया था.


यहां तक कि उन्होंने इसके लिए विपक्ष को पंडित नेहरू की भी निंदा करने की चुनौती दे डाली है. हालांकि, हम इस सियासत से इतर यह जानेंगे कि क्या फडणवीस की ओर से पंडित नेहरू को लेकर किया जा रहा दावा सच है? क्या देश के पहले प्रधानमंत्री ने अपनी किताब में शिवाजी का अपमान किया था? उन्होंने अपनी किताब में ऐसा क्या लिखा था, जिस पर अब चर्चा हो रही है. चलिए जानते हैं... 


डिस्कवरी ऑफ इंडिया में क्या लिखा था नेहरू ने?


पंडित नेहरू की 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' किताब से तो आफ वाकिफ ही होंगे. दावा किया जा रहा है कि इस किताब में पंडित नेहरू ने छत्रपति शिवाजी को लेकर अपमानजनक बातें लिखी थीं. हालांकि, ऐतिहासिक तथ्यों को खंगालने के बाद अलग तस्वीर सामने आती है. जहां तक पंडित नेहरू की किताब 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' का सवाल है तो उन्होंने अपनी किताब में छत्रपति शिवाजी का गुणगान किया था और उन्हें मराठा साम्राज्य के एक हीरो की तरह पेश किया था. ऐसे में देवेंद्र फडणवीस के दावे पर सवाल खड़े होते हैं. 


फिर कहां से आई नेहरू द्वारा शिवाजी के अपमान की बात?


अब सवाल है कि अगर पंडित नेहरू ने 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' में शिवाजी को एक नायक की तरह पेश किया तो यह बात कहां से आई कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी का अपमान किया? दरअसल, मराठा साम्राज्य के नायक शिवाजी को लेकर विवादित लेख पंडित नेहरू ने अपनी किताब 'ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' में लिखा था. यह किताब साल 1934 में प्रकाशित हुई थी. इस किताब के पहले संस्करण के 91 चैप्टर 'द सिख एंड मराठा' के पेज 501 और 502 पर पंडित नेहरू ने छत्रपति शिवाजी पर अपने विचार लिखे हैं. इसमें उन्होंने लिखा है कि 'अपने दुश्मनों के साथ वो (शिवाजी) किसी भी तरीके को अपनाने के लिए तैयार थे, चाहे अच्छा हो या बुरा. बस अपना लक्ष्य पाने के लिए उन्होंने बीजापुर द्वारा भेजे गए एक सेनापति की धोखे से हत्या कर दी. शिवाजी के कुछ काम, जैसे बीजापुर के सेनापति की छल से हत्या, हमें उनके प्रति कम सम्मानित महसूस कराते हैं.'


आलोचना के बाद नेहरू ने मांगी थी माफी


इस किताब के छपने के बाद नेहरू की चारों तरफ आलोचना शुरू हो गई थी. साल 1936 में मामा साहिब के नाम से मशहूर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेस के नेता टी आर देओगिरकर ने पंडित नेहरू को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने चेताया था, साथ ही पंडित नेहरू को छत्रपति शिवाजी पर मराठी लेखकों द्वारा लिखे गए लेख भी भेजे थे. इसके बाद पंडित नेहरू ने 26 मार्च 1936 को आर देओगिरकर को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने सफाई दी थी कि 'वह मानते है कि उनका लेख गलत था. चूंकि किताब जेल में लिखी गई थी, ऐसे में उनके पास तथ्यों को जांचने के लिए रिफरेन्स बुक नहीं थी. उन्होंने सब कुछ अपनी स्मरणशक्ति और पुराने नोट्स के आधार पर लिखा जो कि बेहद गलत है.' पंडित नेहरू के इस पत्र के बाद 'ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' का दूसरा संस्करण साल 1939 में छपा था, जिसमें छत्रपति शिवाजी पर लिखा गया विवादित हिस्सा हटा दिया गया था.  


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