झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. महाराष्ट्र में जहां 20 नवंबर को मतदान होंगे, वहीं रिजल्ट 23 नवंबर को आएगा. जबकि, झारखंड में 13 नवंबर को मतदान होगा और 20 नवंबर को रिजल्ट की घोषणा होगी. हालांकि, इन राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले ही विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. अब इन सवालों का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जनता मतदान में भाग लेकर सवालों का जवाब देती है.
जहां तक ईवीएम का सवाल है, वे 100 फीसदी फूलप्रूफ हैं. आपको बता दें मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने ये बातें झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की तारीख के ऐलान से ठीक पहले कही हैं. खैर, चलिए अब जानते हैं कि क्या ईवीएम को सच में हैक किया जा सकता है. इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि भारत के चुनावों में इस्तेमाल होने वाले ईवीएम को बनाता कौन है?
क्या ईवीएम कौ हैक किया जा सकता है?
ईवीएम को हैक करने की संभावनाएं चुनाव से पहले अक्सर चर्चा का विषय बनती हैं. हालांकि, ईवीएम के डिज़ाइन और सुरक्षा उपायों को देखते हुए, इसके हैकिंग की संभावना ना के बराबर है. दरअसल, ईवीएम में इस्तेमाल होने वाले चिप्स और सर्किट्स को ऐसे डिज़ाइन किया जाता है कि इन्हें सामान्य डिवाइस की तरह हैक नहीं किया जा सकता. इसके अलावा ईवीएम में इकट्ठा डेटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है, ताकि इसे एक्सेस ना किया जा सके.
ईवीएम को कौन सी कंपनी बनाती है
भारत में ईवीएम को बनाने का काम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) करती है. आपको बता दें, ये दोनों संस्थाएं भारत सरकार के तहत आती हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. यही वजह है कि ईवीएम से छेड़छाड़ करना या उसे हैक करना लगभग नामुमकिन है.
बीते वर्ष ही चुनाव आयोग ने कहा था कि जिन लोगों को लगता है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, वह हमारे सामने इसे हैक कर अपनी बात को साबित करें. हालांकि, चुनाव आयोग के इस बयान के बाद कोई भी व्यक्ति इलेक्शन कमीशन के पास ईवीएम को हैक करने नहीं गया.
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