देश में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है. भारतीय जनता पार्टी  ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी. वहीं सूची जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अभिषेक सिंह को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल 2011 बैच के आईएएस अभिषेक सिंह ने अक्टूबर 2023 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि क्या कोई सरकारी कर्मचारी चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा देने के बाद दोबारा नौकरी ज्वाइन कर सकता है या नहीं. जानिए क्या कहता है नियम.  


क्या कहता है नियम ? 


जानकारी के मुताबिक दो तरह के केंद्रीय कर्मचारी होते हैं. एक ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारी होते हैं, जिसमें आईएएस, आईपीएस और आईएफएस (फॉरेस्ट सर्विस) शामिल हैं. दूसरे नॉन ऑल इंडिया सर्विस के कर्मचारी होते हैं. इस कैटेगरी में ज्यादातर सबऑर्डिनेट सर्विसेज वाले कर्मचारी आते हैं. इन दोनों कैटेगरी के केंद्रीय कर्मचारियों की नौकरी, ट्रांसफर, प्रमोशन, इस्तीफा, पेंशन, वीआरएस या रिटायरमेंट बेनिफिट जैसी चीजें सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल्स से संचालित की जाती हैं.


जानकारी के मुताबिक ध्यान रखने वाली बात यह है कि आईएएस, आईपीएस और आईएसएस जैसे ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के केस में ऑल इंडिया सर्विसेज (डेथ कम रिटायरमेंट बेनीफिट रूल्स), 1958 लागू होता है. बता दें कि ऑल इंडिया सर्विसेज के रूल 5(1) और 5(1)(A) में इस्तीफे का प्रावधान है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी इस्तीफा देना चाहता है तो उसका रेजिग्नेशन स्पष्ट और बिना शर्त होना चाहिए. कोई अफसर फौरन या किसी निश्चित तिथि से इस्तीफे का आवेदन दे सकता है. आवेदन में इस्तीफा का कारण स्पष्ट लिखा होना चाहिए.


आईएएस किसे सौंपते हैं इस्तीफा?


आईएएस अधिकारी को अपने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को इस्तीफा भेजना होता है. जबकि आईपीएस को राज्य के पुलिस प्रमुख को इस्तीफा सौंपना होता है. उदाहरण के लिए अगर कोई आईएएस उत्तर प्रदेश कैडर का है तो उसे अपने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को इस्तीफा सौंपना होता है. इसी तरह आईपीएस को राज्य के सर्वोच्च पुलिस अधिकारी या डीजीपी को इस्तीफा भेजना होता है. यदि कोई आईएएस या आईपीएस प्रतिनियुक्ति (डेप्युटेशन) पर है तो उसे संबंधित विभाग के मुखिया को रेजिग्नेशन सौंपना होता है.


कितने दिन में वापस ले सकते हैं इस्तीफा?


आईएएस और आईपीएस जैसे ऑल इंडिया सर्विसेज के अफसर 90 दिनों के अंदर अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं. इस्तीफा देने वाला अधिकारी मंजूरी से पहले रेजिग्नेशन विथड्रा करने के लिए लिखित आवेदन देता है तो इस्तीफा स्वतः वापस ले लिया जाता है. 


कौन वापस नहीं ले सकता है इस्तीफा?


ऑल इंडिया सर्विस रूल्स के मुताबिक यदि किसी अफसर ने किसी राजनीतिक दल या राजनीति में भाग लेने वाले किसी संगठन से जुड़ने के उद्देश्य से अपनी सेवा या पद से इस्तीफा दिया है. इसके अलावा किसी राजनीतिक आंदोलन में भाग लेने या किसी विधायिका या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव के शामिल होने के लिए पद छोड़ा है, तो उसे इस्तीफा वापस लेने की मंजूरी नहीं मिलती है.


हालांकि उदाहरण के तौर पर जम्मू-कश्मीर के अधिकारी शाह फैसल राजनीति ज्वाइन करने के बाद दोबारा वापस सर्विस में आ गए थे. क्योंकि उनका इस्तीफा तब तक न तो प्रॉसेस ही किया गया था और न ही उस पर कोई फैसला हुआ था. इसके अलावा बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे भी चुनाव लड़े थे और हारने के बाद फिर वापस सेवा में आ गए थे. क्योंकि उनका भी इस्तीफा ना तो प्रॉसेस हुआ था और ना ही मंजूर हुआ था.


क्या अभिषेक सिंह दोबारा IAS बन सकते?


ताजा मामाला अभिषेक सिंह का है. लेकिन बता दें कि अभिषेक सिंह अब दोबारा IAS नहीं बन सकते हैं. क्योंकि उनका इस्तीफा मंजूर हो चुका है. जानकारी के मुताबिक अगर अभिषेक सिंह का इस्तीफा प्रॉसेस नहीं हुआ होता तो दोबारा सेवा में आने की गुंजाइश थी. 


इस्तीफे के बाद क्या मिलती सुविधा?


ऑल इंडिया सर्विस का कोई अफसर स्वत: इस्तीफा देता है या उसे बर्खास्त किया जाता है. उस स्थिति में रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधा नहीं दी जाती हैं. हालांकि इस नियम में कुछ अपवाद भी हैं. जैसे सरकार कुछ खास परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसे कंपैसनेट अलाउंस दे सकती है. जो रिटायरमेंट बेनिफिट्स की दो तिहाई से ज्यादा नहीं होता है. 


 


ये भी पढ़ें: चुनाव की गहमागहमी में फिर चर्चा में आ गया फलौदी का सट्टा बाजार, यहां कैसे पैसे होते हैं डबल