जोशीमठ इन दिनों भू धंसाव और घरों में पड़ रही दरारों की वजह से पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग अब इसे लेकर आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से इस पर ध्यान देने की बात कह रहे हैं. सरकार भी इस पर ध्यान बनाए हुए है, लेकिन अब यह समस्या इतनी बढ़ गई है कि लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि जिस तरह से इस शहर में जमीन धंस रही है और मकानों में दरारे पड़ रही हैं, कहीं उनका घर किसी दिन उन्हीं पर ना गिर जाए.


क्यों फट रही है धरती


धरती फटने या धंसने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे झारखंड से कुछ समय पहले एक खबर आई थी की वहां कोयले के खदान के आस पास की जमीनें फट रही हैं, उसके पीछे दो कारण बताए गए, एक तो ये कि खदान से कोयला निकालने की वजह से ऊपर की जमीन कमजोर हो गई और वह धंसी जा रही है, वहीं दूसरा कारण बताया गया कोयला निकालने के लिए खदान मे किए गए ब्लास्ट. कुछ ऐसा ही कारण जोशीमठ में भी देखने को मिला जहां के लोग अभी जमीन के धंसने और घरों के दीवारों के फटने से परेशान हैं.


वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट डॉ स्वप्नामिता चौधरी कहती हैं, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियां लगातार उत्तराखंड के विष्णुप्रयाग क्षेत्र में नीचे से कटाव कर रही हैं. दरअसल, विष्णुप्रयाग से ही जोशीमठ का ढलान शुरू होता है और 2013 में आई केदारनाथ आपदा के साथ 2021 की रैणी आपदा और 2022 का चमोली हादसा और बदरीनाथ क्षेत्र के पांडुकेश्वर में बादल फटने की भी जोशीमठ में जमीन के धंसने का एक बड़ा कारण है.


ठोस जमीन पर नहीं बसा है जोशीमठ


जोशीमठ के धंसने के पीछे दूसरी जो सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है, वह यह है कि ये शहर दरअसल, ठोस जमीन पर नहीं बसा है. कहा जाता है ये शहर ग्लेशियर द्वारा लाए गए मलबे पर बसा है. यानी जोशीमठ शहर के नीचे की जमीन लैंडस्लाइड मटेरियल है, जो अब धंसता जा रहा है और इसी की वजह से वहां जमीन फट रही है और घरों की दीवारों में दरारे पड़ रही हैं.


ब्लास्ट बड़ी वजह


जोशीमठ के धंसने के पीछे वहां टनल बनाने के लिए किए गए कई विस्फोट भी हैं. दरअसल इस शहर में एनटीपीसी का एक बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट चल रहा है, इसमें टनल बनाने के लिए कई बड़े ब्लास्ट कराए गए, जिसकी वजह से इस शहर के नीचे के टेक्टोनिक प्लेट्स पर भी असर पड़ा. अब स्थिति यह है कि इस शहर के पास सिर्फ कुछ ही वक्त और बचा है, अगर समय पर यहां रहने वाले लोगों को कहीं और नहीं बसाया गया तो भारी जानमाल का नुकसान हो सकता है.


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