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Journey Of Waqf Board: वक्फ बोर्ड का मोहम्मद गौरी से है ये कनेक्शन, आज इतने लाख एकड़ में फैली है जमीन

Journey Of Waqf Board: वक्फ भारत में उतना पुराना माना जाता है, जितना कि इस्लाम. वक्फ की शुरुआत मोहम्मद गौरी ने की थी. इसके बाद इसे मुगल सल्तनत ने बढ़ावा दिया. फिर सरकार ने इसके बोर्ड का गठन कर दिया.

Journey Of Waqf Board: संसद के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वक्फ बोर्ड कानून के लिए भारत में कोई जगह नहीं है. इसके बाद ये भी अनुमान लगाया गया कि हो सकता है सरकार वक्फ संशोधन के लिए कोई विधायक पेश करेगी. हालांकि देश में वक्फ का इतिहास बहुत पुराना है. भारत में वक्फ बोर्ड कैसे आया ये जानना जरूरी है और इसका मोहम्मद गौरी से क्या कनेक्शन है. चलिए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या है वक्फ का मतलब

इस्लाम में वक्फ शब्द को बहुत जरूरी माना जाता है, लेकिन कुरान में सीधे तौर पर वक्फ जैसे शब्द का कोई जिक्र नहीं है. वक्फ अरबी शब्द वक्फा से निकला है, जिसका मतलब होता है रोकना या स्थिर करना. कोई भी ऐसी संपत्ति या संसाधन जिसको परोपकार के लिए दे दिया जाता है, उसे वक्फ कहते हैं. कोई संपत्ति के एक बार वक्फ की घोषित हो जाने के बाद उसका स्वामित्व वक्फ का होता है, न कि उस शख्स का, जिसकी वो थी. माना जाता है कि ये फिर अल्लाह के पास चली जाती है और समाज के उपयोग में इसका इस्तेमाल होगा. 

वक्फ का मोहम्मद गौरी से कनेक्शन

भारत में वक्फ की अवधारणा उतनी ही पुरानी मानी जाती है, जितना कि इस्लाम. वक्फ का नाम मोहम्मद गौरी के शासनकाल से जुड़ा है. 12वीं शताब्दी के आखिर में पृथ्वीराज चौहान से जीतने के बाद मोहम्मद गौरी ने सैन्य ताकत और इस्लामिक संस्थानों को बढ़ाकर अपनी सत्ता मजबूत करने की कोशिश की थी. मोहम्मद गौरी ने मुसलमानों की शिक्षा और उनकी इबादत के लिए मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए दो गांव दान में दिए थे. भारत में इसको वक्फ के पहले उदाहरण में से एक माना जाता है. इन दोनों गांवों से जो आय होती थी, उसका इस्तेमाल धार्मिक कार्यों और परोपकार के लिए किया जाता था. गौरी ने इन संपत्तियों की देखरेख के लिए शैखुल इस्लाम को नियुक्त किया था. 

मुगल सल्तनत ने वक्फ को दिया बढ़ावा

इसके बाद धीरे-धीरे वक्फ दिल्ली सल्तनत के उत्तरी भारत में मुख्य शक्ति के रूप में उभरने लगा. अलाउद्दीन खिलजी और इल्तुतमिश जैसे बड़े सुल्तानों ने जमीनें, इमारतें और पैसे बड़े तौर पर वक्फ को समर्पित किया. जिसका इस्तेमाल मदरसों, मस्जिदों और सूफी दरगाह के लिए किया जाता था. तब मुगल साम्राज्य ने वक्फ को एक संस्था का रूप देने के लिए सोच लिया. इसके बाद अकबर और औरंगजेब ने भी वक्फ के लिए बहुत कुछ योगदान किया. अंग्रेजों ने अपने शासन में वक्फ की संपत्ति में हस्तक्षेप शुरू किया. फिर आजादी के बाद वक्फ को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जरूरत थी. तब 1954 में भारत सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया. 

इतने लाख एकड़ में फैली है वक्फ की जमीन

सरकार ने इसकी देखरेख के लिए राज्य वक्फ बोर्ड की स्थापना की. 1995 में वक्फ अधिनियम ने इस ढांचे को और मजबूत किया और वक्फ बोर्डों को वक्फ की संपत्तियों का कानूनी रक्षक बना दिया. PIB की मानें तो वर्तमान में वक्फ बोर्ड पूरे भारत में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को कंट्रोल करता है. इसकी अनुमानित कीमत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये के आसपास है. भारत के पास वक्फ की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है.

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