अंतिम छोर पर बसा वो गांव जिसमें रहते हैं सिर्फ 12 लोग!...कहां है ये गांव?
Village of 12 People: रूस का 'कलाच' गांव यूक्रेन के बॉर्डर पर बसा हुआ है. यह देश के सबसे कम आबादी वाले गांवों में से एक है. इस गांव में सिर्फ 12 लोग रहते हैं और सभी यंगस्टर्स हैं.
Kalaach Village in Russia: दुनिया की आबादी लगभग 8 अरब है. जिसमें फिलहाल चीन का सबसे ज्यादा योगदान है. इसके बाद नंबर आता है भारत का. अनुमान है कि आने वाले कुछ ही समय में भारत सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जहां की जनसंख्या 12 है. जी हां, इस गांव में सिर्फ 12 लोग रहते हैं. यह गांव अपने ही देश के आखिरी छोर पर बसा हुआ है. आइए जानते हैं इस अनोखे गांव के बारे में...
कौन-सा है ये गांव?
रूस का 'कलाच' गांव यूक्रेन के बॉर्डर पर बसा हुआ है. यह देश के सबसे कम आबादी वाले गांवों में से एक है. इस गांव में सिर्फ 12 लोग रहते हैं और सभी यंगस्टर्स हैं. गांव में रहने वाले ये सभी लोग नौकरीपेशा हैं और येकातेरिनबर्ग सिटी में नौकरी करते हैं. आइए इस गांव में बारे में सभी दिलचस्प जानकारी एक एक पॉइंट में समझते हैं.
गांव से जुड़ी दिलचस्प जानकारी
- सोवियत यूनियन के समय में इस गांव की आबादी लगभग 3 हजार के थी. तब यूक्रेन भी सोवियत का ही हिस्सा हुआ करता था.
- साल 1992 में जब सोवियत यूनियन का बंटवारा हुआ तो यूक्रेन अलग देश बन गया. इस तरह यह गांव यूक्रेन की सीमा से लगे रूस के आखिरी गांव के रूप में जाना जाने लगा.
- रूस की रेलवे लाइन इसी गांव के बीचों-बीच खत्म होती है. अब भी यहां रोजाना एक ट्रेन सुबह-शाम आती है. यहां रहने वाले लोग इसी ट्रेन से आते जाते हैं. गांव के लोगों के लिए शहर जाने का यही एकमात्र रास्ता है.
- यह पूरा इलाका हमेशा इलाका बर्फ से ढका रहता है, जिस वजह से सड़क से आवाजाही नहीं हो पाती.
- गांव के निवासी बताते हैं कि करीब 30 साल पहले यहां 600 लोग रहते थे. तब यहां के लोग भी आम गांवों के लोगों की तरह खेती-किसानी और पशुपालन किया करते थे.
- इस गांव की आय का स्रोत यूक्रेन था, लेकिन सोवियत यूनियन के विघटन के बाद यूक्रेन अलग देश बन गया और जिससे यह गांव यूक्रेन से अलग हो गया.
- यूक्रेन के अलग हो जाने की वजह से गांव में आय का कोई स्रोत नहीं बचा. जिस वजह से धीरे-धीरे लोग इस गांव को छोड़कर येकातेरिनबर्ग सिटी चले गए.
- येकातेरिनबर्ग सिटी में स्टील की काफी फैक्ट्रियां थी, इसलिए वहां उन्हें आसानी से जॉब भी मिल गई और लोग अपने परिवार के साथ वहीं शिफ्ट हो गए.
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 6 वर्ष पहले तक यहां 12 लोग रहते थे, इन लोगों का इस गांव से काफी लगाव है और वे गांव छोड़ना नहीं चाहते हैं. इसके चलते अब भी येकातेरिनबर्ग से एक बोगी की ट्रेन रोजाना यहां आती-जाती है.
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