क्या रावण लाया था पहली कांवड़? क्या आप भी जानते हैं ये कहानी
Kanwad Yatra History: सावन में कांवड़ यात्रा का खास महत्व माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं सबसे पहली बार कांवड़ कौन लेकर आया था.
सावन के महीने में शिव भक्तों के लिए कांवड़ यात्रा एक तीर्थ यात्रा की तरह है. कांवड़ यात्रा में लोग अपनी श्रद्धा के अनुरुप किसी तालाब, नदी से पवित्र जल लेकर आते हैं और फिर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. कांवड़ यात्रा में लोग इस पवित्र जल को पैदल ही लेकर आते हैं और भगवान शिव को अर्पित करते हैं. कांवड़ यात्रा से जुड़ी बातें तो आप जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सबसे पहले बार कांवड़ कौन लेकर आया था? पहली कांवड़ को लेकर कई तरह की कहानियां हैं और कुछ कहानियों के हिसाब से तो पहली बार कांवड़ रावण लाया था.
इसके अलावा भी पहली कांवड़ को लेकर कई कहानियां हैं तो आज हम आपको बताते हैं कि पहली कांवड़ को लेकर क्या कहा जाता है. साथ ही जानते हैं वो क्या प्रसंग है, जिसके आधार पर माना जाता है कि रावण पहला कांवड़िया था, जिसने कहीं से जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक किया था....
क्या सही में रावण लाया था पहली कांवड़?
कई हिंदू मान्यताओं और प्रचलित कहानियां के अनुसार, कांवड़ यात्रा का कनेक्शन समुद्र मंथन से बताया जाता है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने मंथन में निकला विष पी लिया था और जिसके बाद कई नकारात्मक प्रभावों ने भगवान शिव को घेर लिया था. इसके बाद शिव भक्त कहे जाने वाले रावण ने भगवान शिव का ध्यान किया और फिर कांवड़ में जल लाकर भगवान का जलाभिषेक किया था. अब माना जाता है कि इस वजह से ही कांवड़ यात्रा शुरू हुई थी, जिसके बाद शिव भक्त अलग अलग जगहों से जल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं.
परशुराम थे पहले कांवड़िए?
वहीं, कई मान्यताओं के हिसाब से कांवड़ की शुरुआत परशुराम ने की थी. कहा जाता है कि सहस्त्रबाहु की हत्या के पश्चाताप करने के लिए परशुराम ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी. माना जाता है कि उस दौरान गढ़मुक्तेश्वर से कांवड़ में गंगाजल लेकर आए थे और फिर इस प्राचीन शिवलिंग का अभिषेक किया था. ये परंपरा आज भी चली आ रही है और लोग महादेव का जलाभिषेक करते हैं. इसे कांवड़ यात्रा की शुरुआत माना जाता है.
श्रवण कुमार को भी मानते हैं कांवड़िए
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी. जब श्रवण कुमार अपने माता-पिता को कंधे पर बैठाकर यात्रा कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने अपने मां-बाप को कांवड़ में बैठा कर हरिद्वार में गंगा स्नान करवाया था और उसके बाद वो वहां से अपने साथ जल भी लेकर आए थे. ऐसे में कहा जाता है कि ये पहली बार कोई कांवड़ लेकर आया था और भगवान का अभिषेक किया था, जिसे पहलीं कांवड़ माना जाता है.
भगवान राम से भी जुड़ी है कहानी
इतना ही नहीं, ये भी कहा जाता है कि सबसे पहली बार भगवान राम कांवड़ लेकर आया था. उन्होंने झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल भरकर, बाबाधाम में शिवलिंग का जलाभिषेक किया था, जिसे पहली कांवड़ माना जाता है.
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