Kargil Vijay Diwas 2024: कारगिल वार पाकिस्तान को भारत की ओर से दिया गया वो घाव है जो भरना मुश्किल ही है. बात साल 1999 की है, जब भारत की सेना के दिल में छुरा घोंपकर पाकिस्तान की सेना ने भारत में घुसपैठ कर ली थी और भारतीय चौंकियों पर कब्जा जमाने की नापाक साजिश रची. इसके बाद जो हुआ वो भयावह तो था ही साथ ही पाकिस्तान के लिए सदियों तक घाव भी दे गया. दरअसल इसका नतीजा युद्ध के रूप में सामने आया, भारतीय सैनिकों के हाथों बड़ी संख्या में पाकिस्तान के सैनिक मारे गए, जिन्हें लेने से भी पाकिस्तान ने इंकार कर दिया था.


पाकिस्तान के नापाक इरादों पर भारतीय जवानों ने फेरा पानी


पाकिस्तान ने भीषण सर्दी में कारगिल में अपने सैनिकों को घुस पैठिये बनाकर कश्मीर के कारगिल में भेज दिया. सर्दियों में जो चोटियां खाली छोड़ी गई थीं उनपर पाक सैनिकों ने बंकर बना लिए थे. कारगिल की आजम चौकी पर सबसे पहले पाकिस्तानी अफसर इफ्तेकार की पहचान हुई. वो पाकिस्तान की 7 लाइट इंफैट्री में तैनात था.


ऊंचाई पर होने के चलते घुसपैठिये मजबूत स्थिति में थे. इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के सैनिकों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था. एक-एक कर भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे से चोटियों को खाली करवाना शुरू किया. इसमें बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक और अफसरों का भारतीय सेना ने मार गिराया. दो महीने चले इस युद्ध में जहां भारत के 527 जवानों और अफसरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया तो वहीं पाकिस्तान के सैनिकों के मारे जाने की कोई गिनती नहीं थी.


पाकिस्तानी सैनिकों के शवों का क्या हुआ?


जब कारगिल युद्ध खत्म हुआ तो शवों की पहचान की गई. इस दौरान हर जगह पाकिस्तानी सैनिकों की लाश बिछी हुई नजर आई. चाहे खाई हो या बंकर, हर जगह पाकिस्तानी सैनिकों के शव पड़े थे. भारतीय सैनिकों ने सभी की पहचान उनके पास मिले दस्तावेजों से की. जब पाकिस्तान से उसके सैनिकों के शव वापस लेने के लिए कहा गया तो इस्लामाबाद में बैठे अफसरों और नेताओं ने इससे साफ इंकार कर दिया. वो नहीं चाहता था कि उनकी नाकामी दुनिया को पता चले. यदि वो अपने सैनिकों के शव वापस लेता तो उसकी नाकामी पर मुहर लग जाती.


भारत ने किया दुश्मन का सम्मान


जब पाकिस्तान सरकार ने अपने सैनिकों के शव लेने से साफ इंकार कर दिया तो भारत ने पूरी दुनिया की मीडिया को बुलाकर उनके सामने सम्मान के साथ पाकिस्तान के सैनिकों का अंतिम संस्कार किया. उस समय 16500 फुट की ऊंचाई पर भारतीय जवानों ने गड्ढा खोदककर, पाकिस्तानी सैनिकों के शवों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा और मक्का की ओर सिर कर सम्मान के साथ उन्हें दफन कर दिया गया था.


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