Kargil Vijay Diwas: इस बटालियन में थे कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा, कहा था- ये दिल मांगे मोर
कारगिल युद्ध में जीत का हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा को माना जाता है. युद्ध के मैदान में उनकी बहादुरी और निडर रवैये के लिए उन्हें शेर शाह कहा जाता था.
Kargil Vijay Diwas 2024: कारगिल विजय दिवस हम सभी को उस भयानक युद्ध की याद दिला देता है, जिसमें भारत को जीत तो मिली थी, लेकिन हमने इस युद्ध में इसके हीरो विक्रम बत्रा सहित 527 जवानों को खो दिया था. ये युद्ध साल 1999 में मई महीने में उस समय शुरू हुआ जब जम्मू कश्मीर के कारगिल में पाकिस्तानियों ने घुसपैठ कर ली थी. इस संघर्ष को भारत में ऑपरेशन विजय भी कहा जाता है. इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा का अहम रोल माना जाता है. वो कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे.
किस बटालियन का हिस्सा थे कैप्टन विक्रम बत्रा?
कैप्टन विक्रम बत्रा जम्मू कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में एक कप्तान के रूप में कार्यरत थे. विक्रम बत्रा ने युद्ध में अच्छा प्रदर्शन किया था, वो लगातार जीत हासिल कर रहे थे. इसी बीच 7 जुलाई 1999 पर उन्हें एक अहम चोटी 5140 पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन चलाना था. इस ऑपरेशन के लिए विक्रम बत्रा को ही आगे रखा गया था. इस ऑपरेशन के दौरान उनकी टीम को दुश्मनों की भारी गोलीबारी का सामना करना पड़ा. खतरा बहुत ज्यादा था, लेकिन फिर भी उन्होंने सामने से अपने सैनिकों का नेतृत्व किया और रणनीतिक चोटी पर सफलतापूर्वक कब्जा करन में कामयाब हो गए.
आखिरी वक्त तक लड़े विक्रम बत्रा
विक्रम बत्रा हमेशा अपने साथियों के लिए आगे रहते थे. एक ऐसा ही किस्सा एक ऑपरेशन के दौरान देखने को मिला. जब विक्रम बत्रा को पता चला कि उनके सैनिक राइफलमैन संजय कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और एक खुली पहाड़ी पर फंसे हुए हैं तो उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के वापस जाकर उन्हें बचाने का फैसला किया. दुश्मन इस दौरान लगातार गोलीबारी कर रहे थे, इसके बावजूद वो राइफलमैन संजय कुमार तक पहुंचे और उन्हें सफलतापूर्वक सुरक्षित निकाल लिया. हालांकि इस दौरान पहाड़ी से उतरते समय विक्रम बत्रा को दुश्मनों की गोली लग गई और बुरी तरह से घायल हो गए. वो अपने आखिरी वक्त तक लड़ते रहे और उन्हें बचाया नहीं जा सका.
विक्रम बत्रा लगाते थे ये नारा
विक्रम बत्रा के बारे में कहा जाता है कि वो हमेशा ‘ये दिल मांगे मोर…’ का नारा लगाते थे. उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था. वो कारगिल युद्द में ये प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले पहले सैन्यकर्मी भी थे.
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