History of Karnataka: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे बस कुछ ही समय बाद सबके सामने होंगे. आज यानी 13 मई 2023 को मतगणना शुरू हो चुकी है. क्या आप जानते हैं आज का कर्नाटक राज्य आजादी के दौरान बीस से भी ज्यादा प्रांतों में बंटा था? इनमें बॉम्बे प्रेसीडेंसी, हैदराबाद रियासत और मद्रास आदि शामिल थे. आज हम आपको बताएंगे इस राज्य का इतिहास और इसके बनने की कहानी.


भाषाई आधार पर हुआ निर्माण


आजादी के बाद साल 1953 में जब आंध्र प्रदेश बना तो मद्रास के कई जिले मैसूर में मिला दिए गए. इससे लोगों में आक्रोश बढ़ गया और वो आंदोलन करते हुए विद्रोह पर उतर गए. जिसके बाद सरकार को भाषायी आधार पर 1 नवंबर 1956 को स्टेट ऑफ मैसूर की स्थापना करनी पड़ी. इसमें सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों का एक अलग राज्य बनाया गया. साल 1973 में स्टेट ऑफ मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया. उस समय यहां के मुख्यमंत्री देवराज उर्स थे.


मैसूर से कर्नाटक क्यों पड़ा?


वैसे तो राज्य के नाम को लेकर कई अलग-अलग व्याख्या हैं. लेकिन जिसको सबसे ज्यादा मान्यता मिली हुई है, वो है 'काली मिट्टी की ऊंची भूमि' यानी कर्नाटक. दरअसल, 'करु' यानी काली और ऊंची और 'नाट' यानी भूमि जो काली मिट्टी से आया है और दक्कन के पठारों से ऊंचाई का शब्द लिया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तरह इस राज्य का नाम कर्नाटक हुआ. जबकि, अंग्रेज इस जगह के लिए 'कारनाटिक' शब्द इस्तेमाल किया करते थे.


पहले मुख्यमंत्री बने डी देवराज उर्स


कर्नाटक की राजनीति में शुरुआत से ही मैसूर घराना काफी प्रभावशाली रहा था. कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री डी देवराज उर्स के बाद पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री सिद्दारमैया थे. यहां से कई ऐसे राजनेता निकले हैं, जिन्होंने देश की राजनीति में गहरा प्रभाव छोड़ा. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, मल्लिकार्जुन खड़गे बीएस येदियुरप्पा और एसएम कृष्णा जैसे राजनेता कर्नाटक से ही हैं. 


कई बार लगा राष्ट्रपति शासन 


साल 1977 से 2013 के बीच कई बार ऐसे हालात बने जब कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. इस राज्य पर कांग्रेस काफी वर्चस्व रहा है. कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में नौ बार अपनी सरकार बना चुकी है. हालांकि, साल 1983 में जनता पार्टी के रामकृष्ण हेगड़े ने कांग्रेस के शासन की परंपरा तोड़ी थी, लेकिन उनकी सरकार ज्यादा दिन नहीं टिक पाई. उसके बाद 1994 में जतना दल के एचडी देवेगौड़ा गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने. साल 2006 में एक बार फिर से बीजेपी-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी और देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने . हालांकि, गठबंधन की यह सरकार भी ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई. 


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