Karpoori Thakur Bharat Ratna Award: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान भारत सरकार ने कर दिया है. बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. उन्हें बिहार के जननायक का दर्जा प्राप्त है, लेकिन अहम बात यह है कि कर्पूरी ठाकुर को यह सम्मान मरणोपरांत देने का ऐलान किया गया है. वह 17 फरवरी 1988 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए थे.


अब सवाल यह उठता है कि मरणोपरांत भारत रत्न मिलने पर क्या होता है? क्या जिस शख्स को सम्मानित किया जाता है, उसके परिजनों को कोई सुविधा मिलती है? हर सवाल का जवाब आइए जानते हैं इस स्पेशल रिपोर्ट में...


यह है पूरा मसला


बिहार में गरीबों के ठाकुर के नाम से मशहूर रहे कर्पूरी ठाकुर को मोदी सरकार ने भारत रत्न देने का ऐलान किया है. उन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने की मांग काफी समय से उठ रही थी. उन्होंने पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों को मुख्यधारा में लाने का काम किया था. मोदी सरकार ने यह ऐलान ऐसे समय किया है, जब 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती है. इसके चलते पूरे बिहार में खुशी की लहर है. 


किन्हें दिया जाता है भारत रत्न?


बता दें कि भारत रत्न उन व्यक्तियों को दिया जाता है, जिन्होंने देश में किसी भी क्षेत्र में अहम कार्य किए हों. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया हो. भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी 1954 के दिन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी. भारत रत्न सबसे पहले सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सीवी रमन को दिया गया था. उस वक्त यह अवॉर्ड सिर्फ जीवित व्यक्तियों को दिया जाता था. एक साल में ज्यादा से ज्यादा तीन ही लोगों को भारत रत्न दिया जाता है.


पहली बार मरणोपरांत कब दिया गया भारत रत्न?


साल 1955 के दौरान भारत रत्न देने के नियमों में बदलाव किया गया और इसमें मरणोपरांत सम्मानित करने का प्रावधान भी जोड़ दिया गया. मरणोपरांत भारत रत्न देने की बात करें तो इस स्थिति में सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को सम्मानित किया गया. उन्हें 1966 में भारत रत्न दिया गया, जबकि उससे पहले ही ताशकंद में उनका निधन हो गया था. अब तक 16 शख्सियत को मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया है. कर्पूरी ठाकुर ऐसे 17वें शख्स हैं.


भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को क्या-क्या मिलता है?


भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को केंद्र सरकार की ओर से एक प्रमाण पत्र और पदक दिया जाता है. इस सम्मान के साथ किसी भी तरह की धनराशि नहीं मिलती है. हालांकि, सम्मानित व्यक्ति को सरकारी विभाग कई तरह की सुविधाएं देते हैं.


भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति अगर किसी राज्य में जाते हैं तो वहां की सरकार राज्य के अतिथि के रूप में उनका स्वागत करती है. उन्हें परिवहन, बोर्डिंग और राज्य में ठहरने की सुविधा दी जाती है. उनके परिवार के सदस्यों जैसे पति या पत्नी और बच्चों को भी सुविधाएं मिलती हैं. उन्हें व्यक्तिगत स्टाफ और ड्राइवर भी दिए जाते हैं.


मरणोपरांत सम्मान मिलने पर परिवार के लिए क्या हैं नियम?


जब कोई शख्सियत मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित होती है तो उनका नाम मौखिक तौर पर भारत रत्न से सम्मानित जोड़कर लिया जाता है. दरअसल, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अनुसार, पुरस्कार प्राप्त करने वाले अपने नाम के उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में 'भारत रत्न' का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.


वे अपने बायोडाटा, विजिटिंग कार्ड, लेटर हेड आदि में 'राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भारत रत्न' या 'भारत रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ता' जोड़ सकते हैं. वहीं, उनके परिवार के लिए सुविधाओं को लेकर किसी भी तरह के लिखित निर्देश अब तक जारी नहीं किए गए हैं. उन्हें किसी तरह की सुविधाएं देने का कोई मानक भी नहीं है. हालांकि, राज्य सरकारें अपने स्तर पर सम्मानित शख्सियत के परिजनों का मान-सम्मान करती हैं और सहूलियतें देती हैं.


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