करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. आजकल कई धर्म के लोग इस त्योहार को सेलिब्रेट करने लगे हैं और हर धर्म के लोगों की त्योहार सेलिब्रेट करने की तस्वीरें आती रहती हैं. कई तस्वीरें आती हैं, जिनमें देखने को मिलता है कि कुछ मुस्लिम महिलाएं भी अपने पतियों के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. लेकिन, क्या धर्म के हिसाब से इस्लाम में कोई ऐसा फास्ट या रोजा है, जो महिलाएं अपने पति के लिए रखती हों. यानी क्या मुस्लिम महिलाएं भी खास दिन पर अपने पतियों के लिए फास्ट रखती हैं तो जानते हैं कि इस्लाम में रोजा को लेकर क्या नियम है. 


कब कब रोजा रखती हैं मुस्लिम महिलाएं?


बता दें कि इस्लाम में आमतौर पर तीन तरह के रोजा रखे जाते हैं, जिनके अलग अलग नियम है. सबसे अहम तो वो रोजे होते हैं, जो पवित्र महीने रमजान में रखे जाते हैं. ये रोजे महिलाएं और पुरुष दोनों रखते हैं और इसे करने के अपने कई नियम हैं. इसके अलावा कुछ मुस्लिम मुहर्रम के वक्त भी रोजा रखते हैं, जो रमजान के रोजे से अलग है. इसके अलावा कई लोग रमजान और मुहर्रम के अलावा नफिल फास्ट भी रखते हैं, जो कभी भी रखे जा सकते हैं और इनके भी अपने कुछ नियम होते हैं. 


पहले आपको बताते हैं कि नफिल फास्ट (रोजा) एक ऐसा रोजा होता है, जो रमजान या मुहर्रम से अलग किसी और टाइम में किया जाता है. यह रोजा किसी आम दिन में किसी मन्नत को लेकर किया जा सकता है. इसके करने के भी कुछ नियम होते हैं, जिसमें इन्हें एक साथ ना करना आदि शामिल है. यह किसी भी आम दिनों में किए जाने वाला एक रोजा है. इसके साथ ही जब भी महिलाएं ये रोजा करती हैं तो इसके लिए पहले महिला को अपने पति से इजाजत लेनी पड़ती है. 


महिलाओं के लिए होता है कोई खास व्रत?


इन रोजों के अलावा महिलाओं के लिए कोई खास व्रत या रोजा नहीं होता है, जो सिर्फ पतियों के लिए हो. महिलाओं की ओर से कोई भी रोजा अपने पति या बच्चों के लिए नहीं किया जाता है. तो कहा जा सकता है कि इस्लाम में करवा चौथ के जैसे कोई खास फास्ट या रोजा नहीं है. 


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