इंडियन रेलवे ने अपने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए कवच (KAVACH) नाम की एक हाईटेक सुरक्षा प्रणाली विकसित की है. अब इसी कवच सिस्टम के अपग्रेड वर्जन 4.0 का परीक्षण करने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मंगलवार को कोटा मंडल के सवाई माधोपुर गए थे. वहां उन्होंने लोको पायलटों के साथ संवाद किया और कवच सिस्टम की विशेषता भी बताई. खैर, चलिए अब आपको बताते हैं कि क्या कवच 4.0 रेलवे ट्रैक पर रखे गैस सिलेंडर का भी पता लगा लेता है.


पहले समझिए कवच सिस्टम है क्या


कवच सिस्टम एक प्रकार का स्वचालित ट्रेन सुरक्षा तंत्र है, जो ट्रेनों के बीच टकराव की संभावना को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. कवच सिस्टम का उद्देश्य है कि ट्रेनें अपने तय मार्गों पर सुरक्षित तरीके से चल सकें और किसी भी इमरजेंसी दुर्घटना से बचा जा सके. चलिए अब जानते हैं कि आखिर ये काम कैसे करता है.


सेंसर्स और डिटेक्शन की खासियत


कवच सिस्टम में कई प्रकार के सेंसर्स होते हैं, जो ट्रैक के आसपास की स्थिति की निगरानी करते हैं. ये सेंसर्स लगातार ट्रेन के चारों ओर की चीजों को स्कैन करते हैं. अगर कोई दूसरी ट्रेन, बाधा, या कोई अन्य खतरा सामने आता है, तो यह सिस्टम तुरंत उसे पहचान लेता है. 


ऑटोमेटेड ब्रेकिंग सिस्टम से समझिए


जब कवच सिस्टम किसी खतरे का पता लगाता है, तो यह लोकोपायलट को चेतावनी देता है. अगर लोकोपायलट निर्धारित समय के भीतर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो सिस्टम अपने आप ट्रेन को रोकने के लिए ब्रेक को सक्रिय कर देता है. इससे टकराव की संभावना को काफी हद तक कम कर दिया जाता है.


रीयल-टाइम डेटा भी शामिल है


कवच सिस्टम में एक मजबूत संचार नेटवर्क है, जो ट्रेन और कंट्रोल रूम के बीच रीयल-टाइम डेटा ट्रांसफर करता है. कवच सिस्टम ट्रेन की स्थिति, गति और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को तुरंत कंट्रोल रूम को ट्रांसफर करता है, इससे कंट्रोल रूम को हर समय ट्रेनों की वर्तमान स्थिति पता रहती है.


सिलेंडर का भी पता चल जाता है क्या?


उत्तर प्रदेश के कानपुर में रेलवे ट्रैक पर रविवार को एक सिलेंडर मिला था. लोकोपायलट को जैसे ही सिलेंडर दिखा उसने तुरंत ट्रेन रोक दी. अगर समय पर लोकोपायलट ने ब्रेक ना लगाया होता तो ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकती थी. अब सवाल उठता है कि क्या ट्रैक पर रखे गैस का कवच सिस्टम पता लगा सकता था. दरअसल, कवच सिस्टम में एक खासियत है सेंसर्स और डिटेक्शन का. इसके जरिए कवच अपने आसपास की स्थिति को स्कैन कर उसकी सूचना कंट्रोल रूम को भेजता है. हालांकि, यह सिस्टम बड़ी चीजों पर काम करता है.


जैसे एक ही पटरी पर अगर दो ट्रेनें आमने सामने आ जाएं तब ये काम करता है. इसके अलावा अगर पटरी टूटी हो या पटरी पर कोई बड़ी चीज हो तो उसकी जानकारी कवच सिस्टम दे देता है. लेकिन गैस सिलेंडर किसी ट्रैक पर है, इसकी जानकारी कवच देता है या नहीं फिलहाल इस पर रेलवे की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.


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