इस झील का तापमान है 200 डिग्री!... रात में नीले पत्थर की तरह चमकता है इसका पानी, जानिए क्या है वजह
Intresting Fact: दरअसल, इस झील से हाइड्रोजन क्लोराइड, सल्फ्यूरिक डाइऑक्साइड जैसी कई तरह की गैसें निकलती हैं, जो आपस में अभिक्रिया करके नीला रंग पैदा करती हैं.
Kavaha Ijen: दुनिया में न जाने कितनी ऐसी जगहें हैं जिन्हे देख लोग हैरत में पड़ जाते हैं. इसी तरह ऐसी कई झीलें मौजूद हैं, जो अपने आप में कोई न कोई रहस्य समेटी हुए हैं. ऐसी ही एक झील इंडोनेशिया में भी है. वैसे तो झीलें खूबसूरती का पर्याय मानी जाती हैं, लेकिन इंडोनेशिया की ये झील दुनिया की सबसे अधिक अम्लीय झील है. इस झील के पानी का तापमान हमेशा लगभग 200 डिग्री सेल्सियस बना रहता है. साथ ही इस झील में सबसे अधिक हैरानी वाली बात इसका रंग है. रात में इस झील का पानी किसी नीले पत्थर की तरह चमकता है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों है...
रात में दिखती है नीली-हरी रोशनी
दसअसल, यह झील प्रशांत महासागर के किनारे स्थित है. जिसका नाम 'कावाह इजेन' है. झील का पानी हमेशा खौलता रहता है इसलिए इस झील के आसपास कोई आबादी भी नहीं रहती है. हालांकि, कई बार इस झील की सैटेलाइट इमेज भी जारी हो चुकी है, जिसमें झील के पानी से रात के समय में नीली-हरी रोशनी निकलती दिखती है.
नीली रोशनी का कारण
सालों के रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने इस झील से निकलने वाली रंगीन रोशनी के पीछे की वजह का पता लगाया. दरअसल, इस झील के आसपास कई सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं, जिसके कारण झील से हाइड्रोजन क्लोराइड, सल्फ्यूरिक डाइऑक्साइड जैसी कई तरह की गैसें निकलती रहती हैं. ये सभी गैसें आपस में मिलकर अभिक्रिया करती हैं, जिस वजह से यह नीला रंग पैदा होता है.
क्या हुआ जब मोती एल्यूमीनियम की चादर को इसके पानी में डुबाया गया?
आपको बता दें कि कावाह इजेन झील इतनी ज्यादा खतरनाक है कि वैज्ञानिक भी लंबे समय तक इसके आसपास रहने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं. झील की अम्लीयता की जांच करने के लिए एक बार अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने तेजाब से भरे इस पानी में एलुमीनियम की मोटी चादर को लगभग 20 मिनट के लिए डाला, चादर को निकालने के बाद जब देखा गया तो चादर की मोटाई किसी पारदर्शी कपड़े जितनी ही रह गई थी. ज्वालामुखी के असर से अम्लीय झील कावाह इजेन के अलावा यहां एक नदी भी है, अम्लीयता के कारण इस नदी को भी काफी घातक माना जाता है. पेरू से जुड़े हुए अमेजन फॉरेस्ट में बहती इस नदी को सबसे बड़ी थर्मल रिवर कहा जाता है.
तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है
इस ज्वालामुखी पर जाने वाले पर्यटकों को केमिकल मास्क लगाकर जाना पड़ता है. क्योंकि सल्फर की गंध से उनकी तबियत खराब हो जाती है. इस क्रेटर का तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है. इस क्रेटर (झील) से निकलने वाली आग की लंबाई 16 फीट तक ऊंची होती है.
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