भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग लेकर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को अब खाप पंचायतों को सपोर्ट मिल गया है. खाप पंचायतों के अल्टीमेटम के बाद से अब स्थितियां थोड़ी अलग नजर आ रही है और सरकार ने भी पहलवानों से बात की है. इससे पहले भी खाप पंचायतें कई विरोध प्रदर्शन में शामिल हो चुकी है और किसी भी विरोध प्रदर्शन को प्रभावी बनाया है. इसके अलावा चुनावों में भी खाप पंचायतों की काफी भूमिका रही है. जैसे अभी किसान आंदोलन हुए तब भी खाप पंचायतें काफी एक्टिव नजर आईं.


ऐसे में सवाल है कि आखिर ये खाप पंचायतें होती क्या हैं, जिन्हें किसी भी प्रदर्शन में अहम पलड़ा माना जाता है. तो आज हम आपको बताते हैं कि खाप क्या है, उनका काम क्या है और उनका समाज में कितना प्रभाव है...


क्या होती है खाप?


अगर खाप शब्द की बात करें तो माना जाता है कि खाप शब्द शक भाषा के खतप से लिया गया हो सकता है, क्योंकि इसका अर्थ भी कबीला का क्षेत्र है. वैसे खाप एक खास गोत्र या जाति या बिरादरी के लोगों का एक ग्रुप होता है, जिसमें खाप कहते हैं. इसमें एक जाति के कुछ लोग मिलकर अपने क्षेत्र की एक खाप बनाते हैं और इस खाप या ग्रुप का प्रमुख उस जाति का कोई दबंग व्यक्ति या फिर कोई बुजुर्ग व्यक्ति होता है. खाप के अहम सदस्यों के फैसलों को ही खाप के लोग मानते हैं. इन खाप का प्रधान भी होता है और आमतौर पर ये पद एक परिवार के लोगों में ही ट्रांसफर होता रहता है. 


जैसे किसी गांव में एक खाप अहम है तो गांव के लोग उनके आदेश का पालन करते हैं. कई बार तो पारिवारिक मुद्दों से लेकर जमीन जायदाद के केस यहां ही सुलटा दिए जाते हैं और खाप जो फैसला करती है, उसे मान लिया जाता है. बता दें कि इन दिनों जाट वर्ग की कई खाप पंचायत हैं, इससे लोग इससे जाट से जोड़कर देखने लगे हैं, वैसे अलग अलग गांवों में अलग अलग जातियों की भी खाप होती हैं. 


क्यों है इतनी प्रभावी?


दरअसल, एक तो खाप को छोटे शहरों, कस्बों में ज्यादा अहमियत दी जाती है, जिस वजह से लोग इनका फैसला मानते हैं. ऐसे में ये खास सरकार या किसी भी बॉडी के सामने प्रेशर ग्रुप के रुप में काम करते हैं. इसकी अहम वजह से लोगों को संगठित होना और उन ग्रुप में कुछ दबंग लोगों का शामिल होना है. वैसे खाप का ज्यादा प्रभाव हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ इलाकों में ज्यादा दिखने को मिलता है. गांव में पहले जो कुछ बुजुर्गों या बड़े लोगों की पंचायत लगती थी, वो ही खाप पंचायत का रुप है. 


कई बार चर्चा में रहे हैं?


खाप पंचायत चुनाव या किसी प्रदर्शन में अपनी ताकत दिखाने की वजह से ही नहीं, बल्कि और कई कारणों से भी चर्चा में रही हैं. जैसे कई बार खाप की ओर से भारतीय कानून से अलग या फिर महिला विरोधी कुछ फैसले सुना दिए जाते हैं, जिसकी वजह से इनकी काफी चर्चा होती है. भारत में एक बड़ा वर्ग इनका विरोध करता है और इनके होने का विरोध करते हैं.


यह भी पढ़ें- आज नीलाम होगी हिटलर की चांदी की एक पेंसिल... कीमत इतनी कि 40-50 लाख तो बहुत कम है