Khushwant Singh Death Anniversary: भगत सिंह का ऑटोग्राफ लेने के लिए जेल चला गया था यह शख्स, पिता और दोस्तों से ही दिलवाई थी झूठी गवाही
Khushwant Singh Death Anniversary: आज खुशवंत सिंह की डेथ एनिवर्सरी है. खुशवंत सिंह ऐसे जिंदादिल इंसान थे, जो कि भगत सिंह का ऑटग्राफ लेने के लिए जेल चले गए थे और इनके पिता ने ही भगत सिंह के खिलाफ झूठी गवाही दी थी.

Khushwant Singh Death Anniversary: खुशवंत सिंह एक ऐसे जिंदादिल इंसान और गंभीर लेखक रहे हैं, जिनका विवादों से नाता कभी छूटा ही नहीं. उन्होंने अपनी शर्तों पर जिंदगी जी और अपने किस्से, गंभीर लेखन और हाजिर जवाबी के लिए मशहूर रहे. हालांकि उनको लेखक कम ही लोग मानते हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी इस बात की परवाह नहीं की. लेकिन अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा. 99 साल की उम्र तक भी वो सुबह 4 बजे उठकर लिखना पसंद करते थे. खुशवंत सिंह खुद को दिल्ली का सबसे बड़ा यारबाज और दिलफेंक बूढ़ा आशिक मानते थे. आज खुशवंत सिंह की डेथ एनिवर्सरी है. चलिए इनके बारे में आपको और भी बहुत कुछ बताते हैं.
भगत सिंह का ऑटोग्राफ लेने जेल चले गए थे
खुशवंत सिंह को पद्म भूषण और पद्म विभूषण दोनों से नवाजा जा चुका है. उनकी गिनती प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबियों में की जाती थी. लेकिन अगर विरोध पर आ जाएं तो इंदिरा गांधी का विरोध करने से भी चूकते नहीं थे. 2 फरवरी 1915 में पंजाब की हदाली (इस वक्त पाकिस्तान) में हुआ था. खुशवंत सिंह के पिता का नाम सर सोभा सिंह था, जो कि अपने वक्त के मशहूर ठेकेदार थे. खुशवंत सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे बचपन में भगत सिंह का ऑटोग्राफ लेने जेल गए थे. बाद में इनके पिता सर सोभा सिंह ने ही भगत सिंह के खिलाफ झूठी गवाही दी थी.
भगत सिंह के खिलाफ खुशवंत सिंह के पिता ने दी थी झूठी गवाही
भगत सिंह के असेंबली में बम फेंकने और साउंडर्स को गोली मारने के खिलाफ सजा हुई थी. भगत सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज चला. भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को जानबूझकर बम ब्लास्ट करने का दोषी पाया गया, जिससे लोगों की जान जा सकती थी. दोनों को आजीवन कारावास की सजा हुई. मुकदमे के दौरान अभियोग पक्ष के गवाह खुशवंत सिंह के पिता सर सोभा सिंह ने भगत सिंह के खिलाफ झूठी गवाही दी कि उन्होंने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को असेंबली में बम फेंकते हुए देखा था.
भगत सिंह ने झूठी गवाही के खिलाफ की थी अपील
पहले तो भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त इस झूठी गवाही के खिलाफ अपील के पक्ष में नहीं थे. लेकिन बाद में उन्होंने इसलिए अपील की कि इससे क्रांति के संदेश का प्रचार होने में मदद मिलेगी. जैसी उम्मीद थी, हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 1930 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की अपील को खारिज कर दिया और 14 साल के लिए उनको जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया. बाद में साउंडर्स की हत्या के आरोप में भगत सिंह को फांसी हुई थी.
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