Genetic Spinal Muscular Atrophy: दुनिया में तरह-तरह की ऐसी बीमारियां मौजूद हैं जिनका इलाज अभी तक खोजा जा रहा है. कई बीमारियां ऐसी होती हैं.जिनके इलाज में भारी भरकम खर्च आता है और तब भी जाकर बीमारी से पूरी तरह निजात मिल जाए इस बात की गारंटी नहीं होती. पिछले कुछ समय से ऐसे ही एक बीमारी कुछ बच्चों में देखने को मिली है.


यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इसका इलाज भारत में संभव ही नहीं है. इस बीमारी में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन 17 करोड़ का आता है. जो कि विदेश से  इंपोर्ट किया जाता है. चलिए जानते हैं क्या है यह बीमारी और क्यों महंगा है इसमें इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन. 


काफी रेयर है जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी


जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी काफी रेयर बीमारी है. यह 10000 में से किसी एक को को होती है. यह एक वंशानुगत बीमारी होती है. इसके चार स्टेज होते हैं. जिनमें टाइप एल, एसएमए टाइप ll , एसएमए टाइप एलएलएल, एसएमए टाइप IV 2 हैं. टाइप एल में बच्चे बिना इलाज के दो साल की उम्र से पहले ही दम तोड़ देते हैं. एसएमए टाइप ll  6 से 18 महीने की उम्र के बीच के बच्चों में देखने को मिलती है. इसमें बच्चे बिना सहारे के बैठ तो जाते हैं. लेकिन उन्हें बिना सहारे के खड़े होने या फिर चलने में परेशानी होती है. 


एसएमए टाइप एलएलएल 18 महीने के बाद होती है. इसमें बच्चे बस चल सकते हैं. लेकिन वह कोई फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर पाएंगे. इलाज के साथ वह सिर्फ जिंदा रह सकते हैं. लेकिन नार्मल जिंदगी नहीं बिता पाएंगे. एसएमए टाइप IV 21 साल के बाद होता है. इसमें पैर की मांसपेशियों की कमजोरी और दर्द रहता है. लेकिन ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ती. 


17 करोड़ की कीमत का जोलगेनेस्मा इंजेक्शन 


जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी की शुरूआती स्टेज में इसका इलाज नहीं करवाया गया. तो धीरे-धीरे यह बीमारी पूरे शरीर में फैल जाती है. और एक-एक करके शरीर के ऑर्गन्स काम करना देना बंद कर देते हैं. इसके लिए जोलगेनेस्मा इंजेक्शन एकमात्र बचाव का जरिया है. 


यह भारत में नहीं मिलता. इसे अमेरिका से मांगना पड़ता है. इसकी कीमत 17 करोड़ के ऊपर होती है. एक बार जोलगेनेस्मा इंजेक्शन लगने से बीमारी के बचाव में मदद मिलती है. हालांकि इंजेक्शन लगने के बाद दोबारा बीमारी होगी या नहीं होगी यह कहा नहीं जा सकता.


यह भी पढ़ें: क्या होता है ब्लू कॉर्नर नोटिस, किन आरोपियों को दिया जाता है और इसके तहत क्या होती है कार्रवाई?