CEO, COO, CFO, CMO, CTO... ये सब कौन होते हैं और कंपनी में इनका क्या काम होता है?
एक कंपनी में कई पद होते हैं और हर पद के साथ ही जिम्मेदारियों और काम का विभाजन होता है. इन पदों में CEO, COO, CFO शामिल है. तो जानते हैं इनका काम क्या होता है.
जब भी किसी कंपनी की बात होती है तो उस चर्चा में कई तरह के पदों को जिक्र होता है, जिसमें सीईओ, सीओओ आदि पद शामिल होते हैं. अगर आप भी किसी कंपनी में काम करते हैं तो आपने देखा होगा कि आपकी कंपनी में टॉप लेवल कर्मचारी करते हैं, जिनके पद सीईओ, सीओओ, सीएफओ या सीआईओ जैसे होते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इन कर्मचारियों के जो अलग-अलग पद होते हैं, उनकी क्या फुल-फॉर्म होती है और उनका काम क्या होता है. तो जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब...
CEO: सीईओ की फुल फॉर्म होती है चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (Chief Executive Officer). यह किसी भी कंपनी का एक अहम व्यक्ति होता है, जो मैनेजमेंट और एडमिनिस्ट्रेटिव विभाग का इंचार्ज होता है. यह कंपनी का फाउंडर भी हो सकता है और यह कंपनी के विजन, पर्पज और मिशन पर काम करता है. साथ ही यह मार्केट को बिजनेस से कनेक्ट करने का काम करता है.
COO: सीओओ की फुल फॉर्म चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (Chief Operating Officer) है. यह सीईओ के एग्जीक्यूटिव हैंड के तौर पर काम करता है और वो डे-टू-डे एडमिनिस्ट्रेशन और बिजनेस ऑपरेशन का हेड होता है. यह अहम तौर पर कंपनी के बिजनेस प्लान पर काम करता है और उस पर फोकस रखता है. इसके साथ ही सीओओ कर्मचारियों की पॉलिसी, कोर टीम बिल्डिंग पर काम करता है.
CMO: सीएमओ की फुल फॉर्म चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (Chief Marketing Officer) है. यह मार्केटिंग एक्टिविटी पर ध्यान रखते हैं, जिसमें सेल्स मैनेजमेंट, प्रोडक्ट मैनेजमेंट, एडवरटाइजिंग, मार्केट रिसर्च और ग्राहक सेवा आदि शामिल हैं. इसके साथ ही कंपनी के सीएमओ का काम कम्यूनिकेशन और मार्केटिंग डिपार्टमेंट से दूसरे विभागों के बीच कम्यूनिकेशन स्थापित करना है.
CFO: सीएफओ पद का पूरा नाम चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (Chief Financial Officer) है. इसे कंपनी का फाइनेंशियल डायरेक्टर भी कहा जा सकता है. यह कंपनी के निवेश, रिस्क, कंपनी वैल्यू को लेकर फैसले लेता है. साथ ही कंपनी में फंड को लेकर अहम फैसले लेता है.
CTO: अगर सीटीओ की बात करें तो इसका पूरा नाम चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (Chief Technology Officer) है. यह टेक्नोलॉजी को लेकर डिसिजन लेता है और उससे जुड़ी पॉलिसी पर फैसला लेता है. इससे कंपनी के कई गोल जुड़े होते हैं और उन्हें लेकर सीटीओ ही फैसला लेता है.
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