ये बचपन में पढ़ा था कि धरती पर गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से हर सामान नीचे गिर जाता है और हवा में नहीं रहता है. मगर ऐसा अंतरिक्ष में नही होता. अंतरिक्ष में अगर कोई सामान ऊपर से गिराया जाए तो वो जमीन पर नहीं आता और हवा में तैरता रहता है. गुरुत्वाकर्षण बल ना होने की वजह से वहां रिसर्च करने जा रहे एस्ट्रोनॉट को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है. सोचिए, जो एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में कुछ दिन के लिए रहते होंगे, उनके लिए कितनी मुश्किल होती होगी. जब वे नहाते होंगे तो पानी हवा में उड़ने लगता होगा और वे नहा नहीं पाते होंगे.
ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आखिर एस्ट्रोनॉट स्पेस में किस तरह से रहते हैं और नहाते हैं. इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि वो किस साबुन का इस्तेमाल करते हैं और किस तरह के शैंपू का इस्तेमाल करके वे नहाते हैं. तो जानते हैं कि एस्ट्रोनॉट की स्पेस लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें...
खुद को कैसे साफ करते हैं एस्ट्रोनॉट?
बता दें कि एस्ट्रोनॉट पृथ्वी की तरह नहीं नहाते हैं. वहां पानी की गुरुत्वाकर्षण की कमी की वजह से वे काफी कम पानी का इस्तेमाल करते हैं और स्मार्ट तरीके से पानी का यूज करते हैं. वे नहाने के लिए अपने शरीर को गीले तौलिये से पोंछते हैं और अपने बालों को पानी रहित शैम्पू से धोते हैं. एक शैंपू आता है, जिसमें पानी का काफी कम या बिल्कुल न के बराबर यूज होता है. पानी रहित शैम्पू का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें कोई झाग नहीं होता है, जो अंतरिक्ष शटल के अंदर बिखर सकता है.
जब अंतरिक्ष यात्रियों को अपने हाथ या चेहरे को साफ करना होता है तो वे या तो एल्कोहॉल से या लिक्विड सॉप वाले गीले तौलिये के जरिए खुद को साफ करते हैं. वे खुद को सुखाने के लिए सूखे तौलिये का उपयोग करते हैं और उनकी धुलाई की जाती है. वे अतिरिक्त पानी को पोंछने के लिए तौलिये का उपयोग करते हैं. इसके साथ ही कुछ खास पाउच में साबुन या पानी के जरिए उसे वे स्किन या बालों में अप्लाई करते हैं. साथ ही प्रेशर मशीन के जरिए भी स्किन पर पानी अप्लाई किया जाता है.
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