पहले मारा...फिर चर्बी निकाली, जानिए कैसे तैयार होता है सांडे का तेल
पाकिस्तान में ये तेल सबसे ज्यादा तैयार किया जाता है. वहां के बाजार में आपको सांडे का तेल खुले तौर पर बिकते हुए मिल जाएगा. हालांकि, इस तेल के जो फायदे बताए जाते हैं उसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
कई बार जब आप सुबह अख़बार पढ़ रहे होते हैं, तो उसमें एक इश्तिहार दिखाई देता है. जिसमें सांडे के तेल के फायदे लिखे होते हैं. आज हम आपको उसी तेल के बनने की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे. इसके साथ ही आपको बताएंगे कि इस तेल से होने वाले जिन फायदों का दावा किया जाता है क्या वो सच में होते हैं.
ये सांडा है क्या
सांडा एक तरह की छिपकली होती है, जो आमतौर पर रेगिस्तानी इलाके में पाई जाती है. खासतौर से पाकिस्तान के हिस्से वाले रेगिस्तान में ये ज्यादा पाए जाते हैं. हालांकि, इन छिपकलियों का साइज घर में पाई जाने वाली छिपकलियों से कहीं ज्यादा बड़ी होती है. यही वजह है कि इनके शरीर में ढेर सारी चर्बी होती है. खासतौर से इनके पूंछ वाले हिस्से में सबसे ज्यादा चर्बी होती है.
कैसे निकालते हैं सांडे का तेल
भारत में इस छिपकली के शिकार पर बैन है. लेकिन पाकिस्तान में इसका शिकार बड़ी मात्रा में किया जाता है. ये शिकारी पहले इन्हें फंदा लगाकर पकड़ते हैं, फिर इनकी हत्या करते हैं. हत्या के बाद इसके शरीर से सारी चर्बी निकाली जाती है. बाद में इसी चर्बी को तब तक गलाया जाता है, जब तक कि यह पूरी तरह से तरल पदार्थ में ना बदल जाए.
इसके बाद इसमें कुछ जड़ी बूटियां मिला कर उन्हें और ज्यादा जलाया जाता है. अंत में जो तेल बचता है उसे छानकर शीशियों में भर कर बाजार में बेचा जाता है. पूरे पाकिस्तान और अरब देशों में इसकी मांग खूब है.
क्या इस तेल का कोई फायदा है
एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तेल को लेकर जिन फायदों का दावा किया जाता है वो पूरी तरह से मनगढ़ंत हैं. इसके कोई फायदे नहीं हैं. इसकी चर्बी भी किसी आम जानवर की चर्बी जैसी ही होती है. हालांकि, इसमें जिन जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है, उसकी वजह से इस तेल का रंग बदल जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि असली सांडे के तेल के नाम पर बाजार में इस तेल के कुछ ग्राम हजारों रुपये में बेचे जाते हैं.
ये भी पढ़ें: किसी भी देश में कब होती है हीटवेव की घोषणा, हीटवेव के लिए तापमान कैसे तय करती है सरकार