जानिए कैसे बनता है स्मोक बम, जिसका भगत सिंह से लेकर संसद हमले तक चर्चा
स्मोक बम का कहां होता इस्तेमाल, शरीर पर इसका क्या नुकसान
संसद में जारी शीतकालीन सत्र के दौरान दो आरोपियों ने कार्रवाई के दौरान पूरे पार्लियामेंट को स्मोक बम के जरिए धुंधा-धुंआ कर दिया. जिसके बाद सुरक्षाबलों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. संसद भवन में हुए इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. पूरा देश इस घटना को सुरक्षा में बड़ी चूक बता रहा है. वहीं जानकारी के मुताबिक आरोपी भगत सिंह फैन क्लब से जुड़े हुए थे. आज हम आपको बताएंगे कि स्मोक बम का इस्तेमाल कब, कहां होता और इससे क्या नुकसान होता है.
आरोपी भगत सिंह के फैन
संसद में स्मोक बम फेंकने की घटना को अंजाम देने वाले दोनों आरोपी शहीद भगत सिंह फैन क्लब से जुड़े हुए थे. जानकारी के मुताबिक दोनों आरोपी ब्रिटिश शासन के समय क्रांतिकारी भगत सिंह की ओर से सेंट्रल असेंबली के अंदर बम फेंक जाने जैसी घटना को दोहराना चाहते थे.
स्मोक बम का इस्तेमाल
आज पूरी दुनिया में लोग स्मोक बम का इस्तेमाल आमतौर पर शादी, फोटोशूट, बर्थडे, प्रीवेडिंग में करते है. इस दौरान लोग कई सारे कलर के स्मोक बम जलाते है और फोटोशूट करवाते है. सोशल मीडिया पर अक्सर स्मोकबम के साथ यूजर्स फोटो अपलोड करते है.
सैन्य अभियानों में भी होता है स्मोक बम का इस्तेमाल
सेना में अलग-अलग अभियानों के दौरान भी स्मोक बम का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा अक्सर वायुसेना गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के दिन एयर शो में भी स्मोक बम का इस्तेमाल करती है. लेकिन सेना में उपयोग होने वाला स्मोक बम बाजार में मिलने वाले स्मोक बम से अलग होता है. सेना में इस्तेमाल होने वाले कलर स्मोक को आमतौर पर पोटेशियम क्लोरेट ऑक्सीडाइजर, लैक्टोस या डेक्सट्रिन को ईंधन के तौर पर, डाई का इस्तेमाल होता है. सुरक्षाबल अलग-अलग अभियानों में एक दूसरे को संकेत देने के लिए भी स्मोक बम का इस्तेमाल करते है.
कैसे बनता है स्मोक बम
स्मोक बम बनाने में आमतौर पर पोटैशियम नाइट्रेट, चीनी, बेकिंग सोडा, ऑर्गैनिक डाई, कार्डबोर्ड ट्यूब, डक्ट पाइप, पेन या पेंसिल, आतिशबाजी का फ्यूज, रूई की गेंद और सॉसपैन की जरूरत पड़ती है.इसे आसानी से घर पर भी बनाया जा सकता है, लेकिन कोई भी संस्था से घर पर बनाने की सलाह नहीं देती है.
शरीर के लिए नुकसानदायक
कोई व्यक्ति अगर सीधे तौर पर स्मोक बम के संपर्क में आता है, तो उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. इतना ही नहीं धुंआ अंदर जाने पर आवाज, सांस लेने में तकलीफ होती है. इसके अलावा ज्यादा देर तक सीधे संपर्क में रहने पर नाक से खून भी आ सकता है. इसकी वजह से त्वचा का रंग बदलने और पल्मोनरी इडेमा यानी फेफड़ों में पानी जमा होने की भी दिक्कत आ सकती है. हालांकि ये सभी समस्या सीधे तौर स्मोक बम के संपर्क में देर तक रहने पर होते है.