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चीन दुनिया को दिखाने वाला है 'तारे', जानिए कितना खास है उसका वाइड फील्ड सर्वे टेलीस्कोप
वाइड फील्ड सर्वे टेलीस्कोप को बनाने में चार साल से ज्यादा समय लग गया. दरअसल, इस टेलीस्कोप को जुलाई 2019 से यूनिवर्सिटी ऑफ साइसेस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ चाइना बना रही थी.
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भारत का पड़ोसी देश चीन अपना वाइड फील्ड सर्वे टेलीस्कोप लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. बताया जा रहा है कि चीन का ये टेलीस्कोप उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा टेलीस्कोप होगा. सोशल मीडिया पर तो यहां तक कहा जा रहा है कि चीन की स्पेस एजेंसी अमेरिकी स्पेस एजेंसी नाास को भी कुछ दिनों में पीछे छोड़ देगी. चलिए आपको बताते हैं कि क्या है इस टेलीस्कोप की खासियत और कैसे ये अब पूरी दुनिया को तारे दिखाने के मामले में अव्वल हो जाएगा.
क्या है इस टेलीस्कोप की खासियत?
वाइड फील्ड सर्वे टेलीस्कोप अपने आप में एक खास किस्म का टेलीस्कोप है. चीन का ये बड़ा सा टेलीस्कोप अंतरिक्ष के कई रहस्यों पर से पर्दा उठाएगा. इस टेलीस्कोप की खासियत ये है कि इसमें 2.5 मीटर का एक प्राइमरी मिरर लगा है. इसके साथ ही इसमें एक फोकस कैमरा भी लगा है. इस टेलीस्कोप की मदद से चीन के वैज्ञानिक अंतरिक्ष की कई खगोलीय घटनाओं को निगरानी करेंगे. इसके साथ ही वैज्ञानिक अपनी गैलेक्सी के साथ साथ अन्य आकाशगंगाओं का भी अध्ययन कर पाएंगे.
कितने समय में बना ये टेलीस्कोप?
वाइड फील्ड सर्वे टेलीस्कोप को बनाने में चार साल से ज्यादा समय लग गया. दरअसल, इस टेलीस्कोप को जुलाई 2019 से यूनिवर्सिटी ऑफ साइसेस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ चाइना बना रही थी. वहीं इसे चीन के क्विंन्घाई प्रांत के लेंघू एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेशन बेस में स्थापित किया गया है. यहीं से ये तारों के कई रहस्यों का पर्दा उठाएगी.
एशिया की सबसे बड़ी वेधशाला बन रही है
एशिया अब स्पेस सेक्टर में युरोप और अमेरिका को पीछे छोड़ता नजर आ रहा है. इसी कड़ी में 12 टेलीस्कोपों के जरिए एक वेधशाला का निर्माण कराया जा रहा है जो एशिया की सबसे बड़ी खगोलीय वेधशाला होगी. आपको बता दें, साल 2017 से यह काम शुरू है और इसमें चीन की सरकार लगभग 370 मिलियन डॉलर लगे हैं.
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