कश्मीर को लेकर कह जाता है कि ये धरती का स्वर्ग है. इसकी प्राकृतिक सुंदरता देख कर कोई भी मोहित हो सकता है. लेकिन आतंक और अलगाववाद ने पूरी वादी को दशकों से अपना गुलाम बनाया हुआ था. हालांकि, धीरे धीरे भारतीय जवानों के बलिदान और उनके शौर्य की वजह से अब घाटी में अमन शांति है. इसी शांति की वजह से वहां वो हुआ है जो बंटवारे के बाद से कभी नहीं हुआ था.


आजादी के बाद पहली बार पूजा


हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो मां शारदा का मंदिर है जो पीओके से महज 500 मीटर की दूरी पर कुपवाड़ा के टीटवाल गांव में स्थित है. भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मंदिर में आजादी के बाद से कभी भी नवरात्रि की पूजा नहीं हुई थी. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये सदियों पुरानी है. मां शारदा के इस मंदिर को देश के 18 महा शक्ति पीठों में से एक में गिना जाता है. कश्मीर में जिस तरह से तेजी से टूरिज्म बढ़ रहा है, उसे देख कर लगा रहा है कि आने वाले समय में कुपवाड़ा में भी इस मंदिर की वजह से टूरिज्म खूब फलेगा फूलेगा.


कितना खास है ये मंदिर


कश्मीर कभी आध्यात्म की राजधानी हुआ करती थी. पूरी दुनिया के ऋषियों का यहां जमावड़ा लगता था. यही वजह है कि यहां एक से बढ़ कर एक भव्य मंदिर बनाए गए थे. हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं उसका निर्माण पहली शताब्दी में कुषाण साम्राज्य में हुआ था. हालांकि, अब यहां मंदिरों के सिर्फ खंडहर ही बचे हैं. कट्टरपंथ ने यहां हिंदू मंदिरों का खूब विनाश किया. कई मंदिर आज भी यहां टूटे पड़े हैं. लेकिन अब भारत सरकार धीरे धीरे इन मंदिरों का पुनरुद्धार कर रही है.


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