शरीर को छोड़िए...आज जानिए कैसे साफ होती है दिमाग की गंदगी
यह एक तरह का तरल पदार्थ है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में बहता है. ये तरल पदार्थ ही दिमाग के गहरे ऊतकों में जाता है और वहां से कचरे को साफ करता है.
आपने कई लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि फलां के दिमाग में गंदगी भरी है, अपने दिमाग की गंदगी साफ करो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर दिमाग में गंदगी भरती कैसे है और अगर भर गई है तो फिर साफ कैसे होती है. चलिए इसके बारे में विज्ञान के दृष्टिकोण से समझते हैं. जानते हैं कि आखिर दिमाग अपने भीतर की गंदगी को साफ कैसे करता है और कचरे को कहां फेंकता है.
दिमाग में कैसे बनता है कचरा
विज्ञान कहता है कि हमारे दिमाग की कोशिकाएं हर रोज बहुत सारे पोषक तत्वों का उपयोग करती हैं. इससे दिमाग के भीतर बहुत ढेर सारा कचरा बन जाता है. लेकिन ये कचरा बाहर कैसे निकलता है, इसके बारे में कुछ वर्षों पहले तक वैज्ञानिकों को नहीं पता था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसके बारे में जानने के लिए चूहों पर एक शोध किया है और इस शोध के जरिए उन्होंने पता लगा लिया है कि दिमाग अपने भीतर का कचरा साफ कैसे करता है.
दिमाग कैसे साफ करता है कचरा
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में छपे एक रिसर्च में बताया गया है कि समय-समय पर दिमाग अपनी सफाई करता है. ऐसा इसलिए ताकि दिमाग अच्छे से काम करे. इसी को समझने के लिए रोचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नेटवर्क खोजा था, जिसे आज ग्लाइन्फैटिक सिस्टम कहा जाता है. यह एक तरह का तरल पदार्थ है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में बहता है. ये तरल पदार्थ ही दिमाग के गहरे ऊतकों में जाता है और वहां से कचरे को साफ करता है. हालांकि, ये पूरा नेटवर्क काम कैसे करता है इस पर वैज्ञानिक अभी भी शोध कर रहे हैं.
अपने से कैसे साफ कर सकते हैं दिमाग की गंदगी
जर्मन न्यूज वेबसाइट डीडब्लू को दिए एक इंटरव्यू में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के डॉ. जेफ इलिफ कहते हैं कि अगर आप अपने दिमाग को साफ रखना चाहते हैं तो आपको बेहतर नींद लेनी चाहिए. इससे ना सिर्फ आपके दिमाग की सफाई को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर होंगी.
इसके अलावा जानवरों पर किए गए एक रिसर्च में पता चला कि ब्लड प्रेशर की एक पुरानी दवा, जिसे अब पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ग्लाइन्फैटिक सिस्टम में सुधार ला सकती है. यानी दिमाग की सफाई में काम आ सकती है. हालांकि, इसका इस्तेमाल डॉक्टर जल्दी नहीं करते.
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