जानिए एक पौधे में कैसे उगती हैं तीन तरह सब्जियां, किसानों को होगा इस तकनीक से मुनाफा
एक किसान चाहे तो दिनभर में 5000 से 6000 पौधों की ग्राफ्टिंग कर सकता है. वहीं पौधों की ग्राफ्टिंग करने के 15 से 20 दिनों के बाद इन्हें खेतों में लगा दिया जाता है.
भारतीय कृषि तेजी से आधुनिक हो रही है, इसके साथ ही आधुनिक हो रहे हैं भारतीय किसान. यही वजह है कि अब किसान कम जगह में ज्यादा फसल उगाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, आज हम जिस तकनीक की बात कर रहे हैं उसके माध्यम से अब किसान एक ही पौधे में तीन तरह की फसल उगा पाएंगे. चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको उसी तकनीक के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही ये भी बताते हैं कि अगर आप शहर में रहते हैं और इस तकनीक के जरिए अपने छत पर सब्जियों की फार्मिंग करना चाहते हैं तो कैसे कर सकते हैं.
किस तकनीक से हो रही है ये खेती
इस वक्त देश में सब्जियों का उत्पादन गिरता जा रहा है, ऐसे में जल्दी-जल्दी दूसरी सब्जी को उगाना चुनौती बनता जा रहा है. ऐसे में ग्राफ्टिंग तकनीक से ना सिर्फ बाजार में सब्जियों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकता है, बल्कि कम जमीन पर किसानों को कई फसलें उगाने से अच्छा मुनाफा भी मिल सकता है. इस नई ग्राफ्टिंग विधि की बात करें तो इस विधि के अंतर्गत पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है, आप इस विधि को 'कलम बांधना तकनीक' के नाम से भी जानते हैं. इस तकनीक के तहत दो या तीन अलग-अलग सब्जियों के पौधों को तिरछा काटकर एक साथ जोड़ दिया जाता है और उनमें टेप लगा दी जाती है. इसके बाद पौधों को 24 घंटे अंधेरे में रखा जाता है,ताकि पौध आपस में मिल जायें. फिर ग्राफ्टिंग के 15 दिन बाद पौधों की रोपाई खेतों में या गमलों में कर दी जाती है. हालांकि, पौधों के बीज अलग-अलग स्थान में लगाए जाते हैं और जब ये बीज पौधों का रूप ले लेते हैं तो इनकी ग्राफ्टिंग का काम किया जाता है.
इन बातों का रखना होता है विशेष ध्यान
आपको बता दें, एक किसान चाहे तो दिनभर में 5000 से 6000 पौधों की ग्राफ्टिंग कर सकता है. वहीं पौधों की ग्राफ्टिंग करने के 15 से 20 दिनों के बाद इन्हें खेतों में लगा दिया जाता है. पौध को खेतों में लगाने के बाद फसल में जरूरत के अनुसार, पानी और उर्वरक डाल दिया जाता है. वहीं फसल में समय-समय पर कांट-छांट करना भी जरूरी होता है. आपको बता दें, ग्राफ्टिंग तकनीक वाली फसल में कीड़ों और बीमारियों की संभावनायें भी कम होती हैं और जलभराव वाले इलाकों में इस तरह से फसल लगाना फायदे का सौदा साबित होता है.
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